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________________ १२५ विपय-सूची दिग्वतोंसे अणुव्रतोंको महा- 'विफल' विशेषणकी दृष्टि १२१ व्रतत्व ... ११२ अनर्थदण्डव्रतके अतिचार १२१ महाव्रतत्वके योग्य परिणाम ११३ ‘अतिप्रसाधन' अतिचारकी महाव्रत-लक्षण .... ११४ तत्त्वार्थसूत्रसे तुलना १२१ अन्तरंगपरिग्रहोंका पूर्णत: त्याग भोगोपभोगपरिमाणव्रत १२वें गुणस्थानमें होनेसे - लक्षण (व्रतोद्देश्य-सहित) १२२ पूर्व के छठे आदि गुगास्थान- भोगोपभोग-लक्षण १२३ वर्ती किस दृष्टिसे महाव्रती ११४ मधुमांसादिके त्यागकी दृष्टि १२४ दिव्रतके अतिचार ११५ दूसरे त्याज्य पदार्थ १२५ अनर्थदण्डव्रत-लक्षण ११५ अनिष्टादि पदार्थोंके त्यागअनर्थदण्डके भेद ... ११६ का विधान (सहेतुक) १२७ पापोपदेश-लक्षण .... ११६ यम-नियम-लक्षण १२८ 'कथाप्रसंगप्रसवः' पदकी दृष्टि ११७ नियमके व्यवस्थित रूपका हिंसादान-लक्षण ... ११८ संसूचन १२८ अनर्थदण्डके लक्षणमें प्रयुक्त हुअा भोगोपभोगपरिमाणवतके 'अपार्थक' शब्द यहाँ 'दान' अतिचार १२६ पदके पूर्व में अध्याहृत है ११८ अतिचारोंकी तत्त्वार्थसत्रके अतिप्रकृतदृष्टिसे रहित हिसोप- चारोंसे विभिन्नता-तुलनादि१३० करणका दान इस व्रतकी कोटिसे निकल जाता है ११८ पंचम अध्ययन अपध्यान-लक्षण ... ११८ शिक्षाव्रतोंके नाम १३१ 'द्वेषात्' और 'रागात्' पद अप- देशावकाशिकवत-स्वरूप १३१ ध्यानकी दृष्टिके सूचक ११६ दिग्वत और देशव्रतका अन्तर १३१ दुःश्रुति-लक्षण ... ११६ देशावकाशिककी सीमाएँ १३२ दुःश्रुतिका पठन-श्रवण करनेपर देशावकाशिक-कालमर्यादाएँ १३२ ___ भी कौन दोषका भागी नहीं १२० देशावकाशिकद्वारा महाव्रतप्रमादचर्या-लक्षण १२० साधन (सकारण) १३३
SR No.010668
Book TitleSamichin Dharmshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages337
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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