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हमारी यह दुर्दशा क्यों ?
शिकार बने रहते हैं !! ऐसी अवस्थामें हमलोग कैसे अपनी उन्नति या अपने समाज और देशका सुधार कर सकते हैं ? कदापि नही ।
अत हम भारतवासियोको बहुत शीघ्र इस ओर ध्यान देकर ऐसा प्रबन्ध करना चाहिये कि जिससे बहुलताके साथ उत्तम घीदूधकी प्राप्ति होती रहे, और उसके लिये सबसे अच्छा उपाय यही
सब लोग पहले की तरह अपने घरो पर दो-दो चार-चार गौऐ तथा भैसे रक्खा करे और कदापि उनको किसी ऐसे अविश्वसनीय मनुष्यके हाथ न बेचे जिससे उनके मारे जानेकी सम्भावना होवे । साथ ही, उनके लिये अच्छी चरागाहो का प्रबन्ध करे और गोचर भूमि छोडना हर एक अपना कर्तव्य समझे, जिससे चारे घासका कोई कष्ट न रहे और वे प्राय जगलसे ही अपना पेट भरकर घर आया करे । इसके अलावा स्थान स्थान पर ऐसे सुव्यवस्थित और विश्वस्त डेयरी फार्मों का भी प्रबन्ध होना चाहिये, जिससे साधन - विहीनो को समय पर उचित दामोमे यथेष्टरूपसे शुद्ध घी-दूध मिल जाया करे। यदि हमने शीघ्र ही इस ओर ध्यान न देकर कुछ भी प्रबन्ध न किया और कुछ दिनो और यही हालत चलती रही तो याद रहे कुछ ही वर्षोंमे वह समय भी निकट आ जायगा जब दवाई के लिये भी खालिस (शुद्ध) घी-दूध का मिलना दुर्लभ होजायगा और हम लोगो की और भी वह दुर्दशा होगी कि जिससे हमारी तरफ कोई आख उठाकर देखना भी पसन्द नही करेगा हम सब प्रकारसे हीन तथा नगण्य समझे जावेगे । यदि हम भारतवासी सचमुच ही इन (उपर्युक्त) समस्त दुखो और दुर्दशात्रोंसे छुटकारा चाहते हैं और हममें अपने हित हितका कुछ भी विचार अवशेष है तो हमे उक्त चारो प्रकारकी निर्बलताको दूर करनेका शीघ्रसे शीघ्र प्रयत्न करना चाहिये । ज्योही हम इस निर्बलताको दूर करनेमे सफल होगे त्योही हमे फिरसे इस भारतवर्षमे भीम, अर्जुन, महावीर, बुद्ध, राम, कृष्णादि