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________________ भारतकी स्वतन्त्रता, उसका झडा प्रौर कर्त्तव्य ४२७ मिल जाता और वह स्थिर रहनेवाला स्वराज्य होता । यदि श्रहिसाको छोड दिया और हिंसाको अपनाया गया तो जो स्वराज्य आज प्राप्त हुआ है वह कल हाथसे निकल जायगा । श्रत इस समय सर्वोपरि प्रश्न प्राप्त हुई स्वतन्त्रताकी सुरक्षा तथा स्थिरताका है । जिस दिनसे यह स्वत त्रता मिली है उस दिनसे भीतरी शत्रुत्रोंने नौर भी जोरके साथ सिर उठाया है - जिधर देखो उधर मार-काट, लूट-खसोट, मन्दिर मूर्तियोकी तोडफोड और आग लगानेकी घटनाएँ हो रही हैं । इन घटनाओ को पहले पाकिस्तानने शुरू किया, पाकिस्तान गैर-मुसलिमोकी सपत्तिको छीनकर अथवा उसे नष्ट-भ्रष्ट करके ही सन्तुष्ट रहना नही चाहता बल्कि उनकी युवास्त्रियो तथा लडकियो से बलात्कार करने और उन्हें घर डालने तक प्रवृत्त हो रहा है शेष सबको बच्चो समेत कत्ल कर देने अथवा जबरन उनका धर्म परिवर्तन करनेके लिये उतारू है । और इस तरह गैर-मुमलमानोकी अथवा अपनी बोलीमें काफिरो की संख्याको एकदम कम कर देना चाहता है । चुनांचे अगर कोई किसी तरह भाग-बचकर किस की शरण में अथवा शरणार्थी शिविर मे पहुँच जाता है तो वहाँ तक उसका पीछा किया जाता है और हिन्दुस्तानमे आनेवाले शरहाथियोकी ट्रेनो, बसो तथा हवाई जहाजों तक पर हमला किया जाता है और कितने ही ऐसे मुसीबतज़दा बेघरबार एव निरपराधी शरणार्थियो को भी मौतके घाट उतार दिया जाता है | इस घोर अन्याय-अत्याचार और अमानुषिक व्यवहारकी खबरोसे सर्वत्र हाहाकार मचा हुआ है, बदलेकी भावनाएँ दिन-पर-दिन जोर पकडती जा रही है और लोग 'जैनको तैसा की नीति पर अमल करनेके लिये मजबूर हो रहे हैं सारा वातावरण क्षुब्ध और सशक बना हुआ है, कही भी अपने को कोई सुरक्षित नहीं समझता । कहाँ पर किस समय क्या होजाय, यहो आशका लोगोके हृदयोमे घर किये हुए है । सारा व्यापार चौपट है और किसीको भी जरा चैन नही है, इस तरह
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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