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________________ ४१४ युगवीर निवन्धावली अध्यापक हमे पाँच-पाँच लाख के दानी चार सेठोका हाल मालूम है जिनमेसे (१) एक सेठ डालचन्द है, जिनके यहाँ लाखोंका व्यापार होता है और प्रतिदिन हजारो रुपये धर्मादाके जमा होते है, उसी धर्मादाकी रकममेसे उन्होने पाँच लाख रुपये एक सामाजिक विद्या-सस्थाको दान दिये है और उनके इस दानमे यह प्रधान-दृष्टि रही है कि वे उस समाजके प्रेमपात्र तथा विश्वासपात्र बने और लोकमे प्रतिष्ठा तथा उदारताकी धाक जमाकर अपने व्यापारको उन्नत करे । (२) दूसरे सेठ ताराचन्द हैं, जिन्होने ब्लैक-मार्केट-द्वारा बहुत धन सचय किया है और जो सरकारके कोप-भाजन बने हुए थे-सरकार उन पर मुकदमा चलाना चाहती थी । उन्होने एक उच्चाधिकारीके परामर्शसे पांच लाख रुपये 'गाँधी-मेमोरियल-फड' को दान दिये है और इससे उनकी सारी आपत्ति टल गई है। (३) तीसरे सेठ रामानन्द हैं, जो एक बडी मिल के मालिक हैं जिसमे 'वनस्पति-घी' भी प्रचुर परिमाणमे तय्यार होता है । उन्होने एक उच्चाधिकारीको गुप्तदानके रूपमे पाँच लाख रुपये इसलिये भेट किये है कि वनस्पति-धीका चलन बन्द न किया जाय और न उसमे किसी रगके मिलानेका आयोजन ही किया जाय । (४) चौथे सेठ विनोदीराम है, जिन्हे 'रायबहादुर' तथा 'आनरेरी मजिस्ट्रेट' बननेकी प्रबल इच्छा थी। उन्होने जिलाधीशसे ( कलक्टरसे ) मिलकर उन जिलाधीशके नाम पर एक अस्पताल ( चिकित्सालय ) खोलनेके लिये पाँच लाखका दान किया है और वे जिलाधीशकी सिफारिश पर रायबहादुर तथा आनरेरी मजिस्ट्रट बना दिये गये हैं। ___ इसी तरह हमे चार ऐसे दानी सज्जनोका भी हाल मालूम है जिन्होने दस-दस हजारका ही दान किया है । उनमेसे (१) एक तो हैं सेठ दयाचन्द, जिन्होने नगरमे योग्य चिकित्सा तथा दवाईका कोई समुचित प्रबन्ध न देखकर और साधारण गरीब जनताको उनके अभावमे दुखित एवं पीडित पाकर अपनी निजकी कमाईमेंसे दस
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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