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________________ बडी दानो कौन ? ४०६ उसका दानद्रव्य समान होने पर भी उसका मूल्य अधिक है और उसharat विधि व्यवस्थाने तथा पात्रोके ठीक चुनावने उसका मूल्य और भी अधिक बढ़ा दिया है । वह ऐसी स्थिति में यदि एक लाख ही तुला भी दान करता तो भी उसका मूल्य उस चौथे नम्बरवाले सेठ के दानमे बढा रहता, क्योकि दानका मूल्य दानकी रकम अथवा दान-द्रव्यकी मालियत पर ही अवलम्बित नही रहता, उसके लिये दान-द्रव्यकी उपयोगिता, दाताके भाव तथा उसकी तत्कालीन स्थिति, दानकी विधि-व्यवस्था और जिसे दान दिया जाता है उसमे पात्रत्वादि गुणोके सयोगकी भी श्रावश्यकता होती है। बिना इनके यो ही अधिक द्रव्य लुटा देनेसे बड़ा दान नही बनता । सेठ धनीरामके दानमे बडेपनकी इन सब बातोका सयोग पाया जाता है, और इसलिये उसके दानका मूल्य करोडपति सेठ न० ४ के दान से भी अधिक होनेके कारण वह उक्त सेठ साहबकी अपेक्षा भी बडा दानी है ।" मैं समझता हूँ अब तुम इस बातको भले प्रकार समझ गये होगे कि समान रकम अथवा ममान-मालियतके द्रव्यका दान करनेवाले सभी दानी समान नही होते - उनमे भी अनेक कारणो से छोटाबडापन होता है, जैसा कि दो लाखके अनेक दानियो के उदाहरणोको सामने रखकर स्पष्ट किया जा चुका है । अत समान-मालियतके द्रव्यका दान करनेवालोको सवथा समान दानी समझना 'एकान्त' और उन्हे विभिन्न दृष्टियोसे छोटा-बडा दानी समझना 'अनेकान्त' है । साथ ही, यह भी समझ गये होगे कि जिस चीजका मूल्य रुपयोमे नही ग्रॉका जा सकता उसका दान करनेवाले कभी-कभी Mast बडी रकम दानियोसे भी बडे दानी होते है । और इसलिये बडे दानी की जो परिभाषा तुमने बाँधी है, और जिसका एक प्रश ( परिभाषा से फलित होनेवाली तीन बातोमेसे पहली बात ) अभी और विचारणीय है, वह ठोक नही है ।
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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