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________________ - - बड़ेसे छोटा और छोटेसे बहा ३६३ सिरेसे सटाकर बनादी और इस तरह उसे पॉच इचकी लाइन कर दिया। इस पर अध्यापकमहोदय बोल उठे 'यह क्या किया? हमारा अभिप्राय यह नही था कि तुम इसमें कुछ टुकड़ा जोडकर इसे बडी बनायो, हमारी मन्शा यह है कि इसमे कुछ भी जोड़ा न जाय, लाइन अपने तीन इचके स्वरूपमें ही स्थिर रहे-पाँच-इची जैसी न होने पावे-और बिना छुए ही बड़ी कर दी जाय।' विद्यार्थी--यह कैसे हो सकता है ? ऐसा तो कोई जादूगर ही कर सकता है। अध्यापक-( दूसरे विद्यार्थियोसे ) अच्छा, तुम्हारेमेसे कोई विद्यार्थी इस लाइनको हमारे अभिप्रायानुसार छोटो या बडी कर सकता है ? सब विद्यार्थी हमसे यह नही हो सकता। इसे तो कोई जादूगर या मत्रवादी ही कर सकता है। अध्यापक-जब जादूगर या मत्रवादी इसे बडी-छोटी कर सकता है और यह बड़ी-छोटी हो सकती है तब तुम क्यो नहीं कर सकते ? विद्यार्थी-हमें बडेसे छोटा और छोटेमे बडा करनेका वह जादू या मत्र आता नहीं। 'अच्छा, हमे तो वह जादू करना आता है । बतलायो इस लाइनको पहले छोटी करे या बड़ी ?' अध्यापकने पूछा। ___ 'जैसी आपकी इच्छा, परन्तु आप भी इसे छूएँ नही और इसे अपने स्वरूपमे स्थिर रखते हुए छोटी या बडी करके बत्तलाएं,' विद्यार्थियोने उत्तरमें कहा। ___ऐसा ही होगा' कहकर, अध्यापकजीने विद्यार्थियोंसे कहा'तुम इसके दोनो ओर मार्क कर दो-पहचानका कोई चिन्ह बना
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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