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________________ युगवीर-नावली यदि समता और स्वतंत्रताके सिद्धान्तपर अवलम्बित राष्ट्रीयएकता प्रादिकी दृष्टिसे, चित्तकी शुद्धिको कायम रखते हुए, यह त्यौहार अपने शुद्ध स्वरूप में मनाया जाय श्रौर उससे जनताको उदारता एवं सहनशीलतादिका सक्रिय-सजीव-पाठ पढाया जाय तो इसके द्वारा देशका बहुत कुछ हित साधन हो सकता है और वह अपने उत्पान एव कल्याणके मार्गपर लग सकता है । इसके लिये ज़रूरत है काग्रेस जैसी राष्ट्रीय सस्थाके आगे आने की और इसके शरीर में घुसे हुए विकारोको दूर करके उसमें फिरसे नई प्राण-प्रतिष्ठा करनेकी । यदि कांग्रेस इस त्योहारको हिन्दूधर्मकी दलदल से निकाल कर विशुद्ध राष्ट्रीयताका रूप दे सके, एक राष्ट्रीय सप्ताह श्रादिके रूपमे इसके मनानेका विशाल आयोजन कर सके और मनानेके लिये ऐसी मर्यादाएँ स्थिर करके दृढताके साथ उनका पालन कराने में समर्थ हो सके जिनसे अभ्यासादिके वश कोई भी किसीका अनिष्ट न कर सके और जो व्यक्ति तथा राष्ट्र दोनोंके उत्थान में सहायक हो, तो वह इस बहाने समता और स्वतंत्रताका अच्छा वातावरण पैदा करके देशका बहुत कुछ हित-साधन कर सकेगी और सच्च स्वराज्यको बहुत निकट ला सकेगी। यदि का स ऐसा करनेके लिये तैयार न हो तो फिर हिन्दू महासभादि देशकी दूसरी सस्थान तथा ग्राम पचायतोको इस त्यौहारके सुधारका भारी प्रयत्न करना चाहिये । २४४ क्या ही अच्छा हो यदि देशके प्रमुख विद्वान, समाज-सेवक, नेता, मंत्रीगण और पंचजन इस त्योहारके सुधार - विषयमे अपने अपने विचार प्रकट करनेकी कृपा करें और सुधार - विषयक अपनी अपनी योजनाएं राष्ट्रके सामने रखकर उसे सुधारके लिये प्रेरित करें । होली पर्व सुधार - विषयमें मेरी दस सूत्री योजना इस प्रकार है (१) इस पर्वके दिन अशुभ राग तथा द्वेष-मूलक कार्य न किये
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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