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________________ महाजनी मंत्र महाजनी हिन्दीमे सबसे प्रथम जो अक्षर पढाए जाते है उनका उच्चारण क्रमश: इस प्रकार कराया जाता है -- "रा, में, सै, ते, सू, रे, सै, ती ओ, ना, मा, सी, ध।" प्राय सब लोग इसको वर्णमाला समझते हैं और इसीसे इसका इस प्रकार पृथक्-पृथक् उच्चारण करते हैं,परन्तु वस्तुत विचार कग्नेसे मालूम होता है कि यह वर्णमाला नहीं है, क्योंकि वर्णमाला इसके पश्चात् जब पृथक रूपसे पढ़ाई जाती है और उपयुक्त सब अक्षर उसमे पाते हैं तब इसको वणमाला कैसे माना जा सकता है ? दूसरे इसी वर्ण-समूहमे कई अक्षर-जैसे रकार, मकार, सकार और तकार-कई कई बार पाए हैं यदि यह वर्णमाला होती तो एक अक्षरके कई-कई बार पानेकी क्या आवश्यकता थी ? इससे साफ तौर पर सिद्ध होता है कि यह प्रक्षर-समूह वर्णमाला नहीं है, बल्कि कुछ और ही वस्तु है और वह है देव-गुरु-शास्त्रके स्मरणस्वरूप और सिद्धोंको नमस्कार रूप एक मत्र या मगलाचरण, जो सबसे पहले मगलके लिए बालकोको पढ़ाया जाता था और उसका उबारण इस प्रकार होता था तथा होना चाहिए - __ " राम सन्त सरस्वती ओं नमः सिद्धं ।” परन्तु अफसोस है कि आजकल इसके उच्चारणको ऐसा बिगाड़
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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