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________________ "i जिन पूजाधिकार मीमांसा L प्रसिद्ध धनिक श्रीमान् हरिभाई देवकरणजी दस्ताके बनवाये हुए जिन मंदिर है। इन समस्त मंदिर और चैत्यालयोंमें दस्सा, बीसा, सभी लोग बराबर पूजन करते है । शोलापुर के प्रसिद्ध विद्वान सेठ हीराचंद नेमिचदजी आनरेरी मजिस्ट्र ेट दस्सा जैनी हैं। उनके घरमे एक चैत्यालय है, जिसमें वे और अन्य भाई सभी पूजन करते हैं। इसी प्रकार अन्य स्थानोपर भी दस्सा जैनियोंके मन्दिर हैं, जिनमे सब लोग पूजन करते हैं । जहाँ उनके पृथक मंदिर नहीं हैं वहाँ वे प्राय बोसोंके मदिरमे ही दर्शनपूजन करते हैं । 1 यह दूसरी बात है कि कोई एक द्रव्य या दो द्रव्यसे पूजन करनेको अथवा मदिरके वस्त्रो और मदिरके उपकरणोमे पूजन न करके अन्य वस्त्रादिकोमे पूजन करनेको पूजन ही न समझता हो, और इसी अभिप्राय अनुसार कही कहीके बीसे अपने मदिरो मे दस्सों को मदिरके वस्त्र पहनकर और मदिरके उपकरणोको लेकर प्रष्ट द्रव्य - से पूजन न करने देते हो, परन्तु इसको केवल उनकी कल्पना ही कह सकते है - शास्त्रो इसका कोई आधार और प्रमाण नही है। पूजनसिद्धान्त और नित्यपूजनके स्वरूपके अनुसार वह पूजन अवश्य है । तीर्थस्थान और प्रतिशयक्षेत्र की पूजा-वन्दनाको दस्से - बीसे सभी जाते है और सभी प्रष्टद्रव्यसे पूजन करते है । श्री तारगाज' तीर्थपर नानचद पदमसा नामके एक मुनीम हैं जो दस्सा जैनी है । वे उक्त तीर्थपर बीसों के मदिरोमे, मदिरके वस्त्रोको पहन कर और मंदिर के उपकरणोको लेकर ही, नित्य प्रष्ट द्रव्यसे पूजन करते है । अन्य स्थानोपर भी - जहाँके बीसोमे इस प्रकारकी कल्पना नहीं है— दस्मा जैनी बीमोंके मदिरमे उसी प्रकार प्रष्ट द्रव्यादिसे पूजन करते है जिसप्रकार कि वे अपने मंदिरोंमें करते हैं। जिनको ऐस देखनेका अवसर न मिला हो वे दक्षिरण देशकी ओर जाकर स्वय देख सकते हैं। उधर जाने पर उनको ऐसी जैन जातियाँ भी ग्राम तौरपर
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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