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________________ - (१८) महामहोपाध्यायामाग्यशोवनपणी त. अत्र उत्तरः जेम-एक वापना वे दीकरा होय, पापर्नु वे बेउ उपर हेत-सरखुन्छे, पण एक आज्ञाकारी छे, बोजोआज्ञाकारी नयी-तेमां जे आज्ञाकारी छे ते उपर हेत, लोक प्रगटपणे देखे छे, अने जे आज्ञाकारी नयी ते उपर यधपि पिवानुं हेत-छे, तोपण 'लोको -ते प्रगटपणे देखता नयी, तेम अहींयां पण तीर्थकरने यद्यपि सर्व प्राणीभी उपर करुणा के, पण जेओ आणाना आरायक-डे तेयो उपर अगटपणे दीसेछे, ते माटे एम-कलं. जे उपर साहेब इत्यादि० अहींयां सर्वया करुणा नयी एम कहेछे ते निवार, जेमाटे चीरस्वामिने छमस्थपणे भगवतीना शतक पभरमानी वृत्ति मध्ये श्रीअभयदेवदारिजीए-लरल्युं छे जे ॥ 'स्नेहगर्भानुकंपा सद्भावात्' ।। ते चारे केवलीने स्नेहरडिन-अनुकंपा ठरी, अन्यथा स्नेहगर्भ पदनुं / प्रयोजन ? इत्यादिक-बहु चर्चा-छे, ते ग्रंय-वचे माटे नयी लखता. ते भाटे तुज आगमनो जे शुद्ध परूपक होय ते पाणी मुजश के० भला यशरूप, अमियरस-के० अमृतनो रस ते चाखे के० आखाद करे. एटले कविए पोवानुं नाम पण सूचव्यु. इति पंचविंशति गाथार्थ ।। २५ ॥ ए प्रयम दाल -थयो. या ग्रंय ४७३ अक्षर १४. __ हवे बीजो दाल कहे छे. तेहनो संबंध जे प्रथम ढाले प्रतिमा स्थापन करीने प्रतिमाने वंदना कही, हवे केटलाक मूढ एम कहे जे जे “प्रतिमा बांदीए प्रण.पूजीए नहीं." तेमने समजाववा माटे वीजो दाल कहे छे. तेनी प्रथम गाथा. __महाविदेह-क्षेत्र-सोहाम[-ए देशी ॥ तुज आणा मुज-मन वसी, जिहां-जिनप्रतिमा सुविचार लालरे । रायपनेणी सूत्रमां, सूरिआलतणो अधिकार लालरे-॥-तुज० १॥ अर्थ-तुज-आणा के तमारो जे आज्ञा,-मस्तास्थी चीरनी-जे-आज्ञा-ते-मुन मन वसी के० महारा चित्चने विषे रही छे. -एटले-श्रीजिनशासन मांहे आज्ञाए धर्म छे पण आजाग्राहमा युक्ति न करवी एम देखाइधु. ते आज्ञा केवी छे ? जिहां-जिनप्रतिमा सुविचार के०जे आनामां जिनप्रतिमानो-भलो विचार के-तेहिज आगम-साखे देखाडे-छे. -रायपसेणी सूत्रमा के रायपसेणी नामे वीजु उपांग, तेमा सूरियाभतणो-अधिकार-के. भि नामे देवता जे परदेशी राजानो जोव प्रथम देवलोके उपन्यो तेनो अधिकार विस्तारे थे, एटछे ए-अर्थ जे सूर्याभ देवताए प्रतिमानी पूजा करो,-तेनो विस्तारे अधिकार ले. इति भाव इति प्रथम गाथार्य ॥१॥ वेहिल विस्तारें देखाडे . ते सुर अभिनत्र-उपन्यो, पूछे. सामायिक देव; लालरे। • शुभुज-पूरव-ने पछी, हितकारी कहो ततखेव; लालरे ।। तुज०२॥ ___ भर्य-ते भर के० ते देवता अभिनव उपन्यो के नवों जे वारे उपन्यो तेवोरे पूरे
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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