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________________ अर्थ-श्री जगचंद्रसरियें तपा विरुद धरान्यु ए मोहोटो नप गच्छ तद्रूप नंदनवनने विषे मुरतरु के० कल्पक्ष समान श्री हीरविजयसरि जयो के० जयवंतो वः सरिराया के. वीजा आचार्यमां राजा सरिखा थया तेहने पाटें श्री विजयसेनसूरि सर्व आचार्योमा ईश्वर तुल्य थया जेमना चरणकमलने नरपति के० पादशाह ते निरंतर नमस्कार करता हवा. एटले ए भाव जे पादशाह शहांगीरे पटदर्शन परीक्षाने अर्थे सर्व दर्शनीने तेडाव्या तेमां जैन दर्शन मांहेला श्री विजयसेनसूरि गया हता तेमणे सर्व दर्शननो पराजय कर्यो तेवारें पादशाहे कयुं जे श्री हीरविजय ते गुरु अने तमे सवाइ गुरु थया इति भावः ॥९॥ तास पाटे विजयदेव सूरिसरू, पाट तस गुरु विजयसिंह धोरी | जास हित सीखथी मार्ग ए अनुसखो, जेहथी सवि टली कुमति चोरी ॥ आज० ॥ १० ॥ अर्थ-तेने पाटे श्री विजयदेवसूरि थया तथा तेमना पाटें श्री विजयसिंहसरि ते गछनो भार वेहेवाने तृपभ समान धोरी थया जेमनी हीच सीख के० में ए संवेगमार्ग आदरयो एटले ए भाव जे श्री यशोविजयजी उपाध्यायें पण एनी आज्ञा पामीने क्रियाउद्धार करयो तथा श्री विजयसिंहसरिना शिष्य अनेक हता तेमां सत्तर शिष्य सरखति विरुद धारी हता ते सर्वमां मोहोटा शिष्य पंडित श्री सत्यविजय गणी हता तेमणे श्रीपूज्यनी आज्ञा पामी क्रियाउद्धार कीधो ते माटे कयुं जे मार्ग ए अनुसरयो के० ए संवेग मार्ग आदरयो जे आदरवा थकी तीर्थकर अदत्त गुरु अदच इत्यादिक कुमति कदाग्रहरूप चोरी टली गयी ए श्री तपगच्छना आचार्योनी परंपरा कही ॥ १० ॥ हीर गुरु शीस अवतंस मोटो हुओ, वाचकां राज कल्याण विजयो । हेम गुरु समवडे शब्द अनुशासने, शीस तस विबुध वर लाभ विजयो ॥ आज० ॥ ११ ॥ अर्थ-हवे उपाध्यायजी पोतानी परंपरा कहे छे ते पूर्व कह्या श्री विजयहीरसरि तेना शिष्य समुदायमां अवतंस के० मुकुट समान महोटा थया वाचकां राज के० उपाध्यायोमा राजा सरिखा एवा श्री कल्याणविजय उपाध्याय थया ते शब्द अनुशासने के० व्याकरण शास्त्रमा तो हेम गुरु समवडे के० श्री हेमाचार्य सरिखा थया वली तेमना शिष्य विवधवर के० सर्व पंडितमां शिरोमणि एवा श्री लामविजय गणी थया ॥ ११ ॥ शिस तस जितविजयो जयो विबुध वर, नयविजय विबु ध तस गुरु भाया ।। रहिअ काशी मनें जेहथी में भलें, न्याय दर्शन विपुल भाव पाया || आज० ॥ १२ ॥
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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