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________________ कया वली गुरुनो वास मस्तकने विष न धरे एटले ए भाव जे समवायांगसूत्र तथा श्रीअनुयोगद्वारमूत्र प्रमुखने लेखे तथा आवश्यक नियुक्ति प्रमाण छे तेमां गुरुनो वास कहोछे ते लोप्यो माटे पापी कहिये. वली मायावीछे कपटे करी लोकने भरममां नाखेछे अक्षरार्थ मरडवो ते वक्रता अने जे वक्रता ते माया वली अज्ञाने भरया छे केमके व्याकरणादिक भण्या विना सूत्र बांचे छे ते न घटे. यतः-"अह केरिसकं पुणाई सचं तु भासियव्वं जं ते दव्वेहि पज्जवेहिं य गुणेहि कम्मेहि वहुविहेहि सिप्पेहिं आगमेहि य, नामक्खाय निवाय उवसग्ग तद्धिय समास संघिपद हेउ जोगिय उणादि किरिया विहाण धातु सर.विभत्ति वन जुत्त । तिकालं दशविहंपि सच्चं जह भणिय तहय कम्मुणा होइ दुवालस विहाई होइ भासावयणं पिय होइ सोलसविह" इत्यादि प्रश्न व्याकरणमूत्र मध्ये पाठ छे माटे जे जाणे ते ज्ञानी अन्यया अज्ञानी कहियें ॥२॥ आचरणा तेहनी नवी, कति कहिये देव; जि० । नित त्रुटे छे सांधता, गुरुविण तेहनी टेव ॥ जि. तुझ०३॥ अर्थ- ते ढुंढीआनी आचरणा जे वाशक्रिया ते सर्व नवीन छे, मुख वांधी बाहेर निकलq डांडो राखबोज नहीं वीपाकसूत्रने विरोधी तथा भगवती दशवकालिक प्रश्न व्याकरणादिकमूत्र थकी विरोधी आचरणा तेहनी केति के० केटली कहीयें एटले घणी छे माटे हे देव हे आत्माराम हे परमानंदविलासी वली तेने निरंतर सांधतां थकां त्रुटे छे एटले लोक उखाणो छे जे नव सांधे ने तेर त्रुटे ते उखाणो एने घरे छे. वली पूजामां हिंसा ववावे अने पोतें मरे ते वारे शें करीयें क्या पोवाने वांदवा आवे तया दीक्षामहोत्सव करे तेमां हिंसा थाय के न याय इत्यादिक वह अधिकार छ पण केटलो लखाय. एम एक वात सांधवा गयो एटले ठामठामयी त्रुटी गयुं जे माटे गुरु विना तेनी खराव टेव पडी गइछे. जो गुरु परंपरागत होय तो कांइ अटके नहीं क्यारे खलाय नहीं संप्रदाय विना ठाम ठाम अटके छ एटले ए भाव जे नगुरा छे ज्यारे निकल्यो त्यारे माथे कोइपण गुरु नहोतो॥३॥ वृत्ति प्रमुख जोइ करी, भाषे आगम आप; जि० । तेहज मूढा ओलवे, जेम कुपुत्र निज वाप ॥ जि० तुझ०४॥ अर्थ-वृत्ति के टीका अने प्रमुखशब्दं चूर्णिनियुक्ति आदि लेवा ते जोइ करीने आप कं० पोते आगमने भाषे एटले वृत्ति प्रमुख छानी राखी तेना भाव जोइ आगमनो अर्थ ठीक साडे पछी लोक आगल एकलु मूत्र वांचे. एम ते अन्नानी टीका प्रमुखने ओलवे कोइ पूछे जे टीका नियुक्ति मानो छो ते वारें कहेगे जे नयी मानता. जेम कुपुत्र होय ते पोताना वापने ओलवे एटले बाप होए सादो अने पोते होए छेल पछी कोइ पूछे जे आ समारा शा सगा छे ते वारे आडो अवलो जवाव आपे तेम टीका प्रमुखनो उपकार अने तेनेन न माने ॥४॥
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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