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________________ Wwwanmannaw दोसो गाथाई स्ववन. अतीचार वारे व्रतना कह्या. ए केम ? ९० इत्यादिक केटला लख्यां जाय. ए सर्व टीका नियुक्ति चूर्णि विना केवल सूत्रे मेलवी आपोतो तमे रांक सरखा शु मेलवी जाणो? कोइ पाठांतर, कोइ अपेक्षा, कोइ उत्सर्ग, कोइ अपवाद, कोइ नये, कोइ विधिवाद, कोइ चरितानुवाद प्रमुख सूत्रना गंभीर आशय समुद्र सरखी बुद्धिना धणी टीकाकार प्रमुख जाणे. ते टीका प्रमुख तो तमे एक प्रतिमा द्वेषे सर्व उथाप्यां. ए प्रसंगे सरयु.॥ १६ ॥ हवे सूत्र अनुसरीए छैए. पूर्वे भगवतीनी साखे त्रण प्रकारनो अनुयोग कह्यो इतो. वली नियुक्तिना अक्षर देखाडे छे. गाथा कहे छे. सूत्र निजुत्तिरे बेऊ भेदे कहे ॥त्री अनुयोगहार ।। कूडा कपटीरे जे माने नहीं ॥ तेहने कवण आधार ॥ स० ॥१७॥ अर्थ-मूत्र तथा नियुक्ति-ए घेऊभेदे त्रीजो अनुयोग के. जीजा अनुयोग द्वारमो कहे छे. एटले ए भाव जे श्रीअनुयोगद्वार सूत्रने विषे चार अनुयोगद्वार कया छे. उपक्रम. १, निक्षेप २, अनुगम. ३, अने नय. ४, तेमां त्रीजु अनुगम नाम अनुयोग द्वार. तेहमां सूत्रानुगम, तथा नियुक्ति अनुंगम ए वे प्रकारनो अनुगम कह्यो छे. वथा च वसूत्र-"अनुगमे दुविहे पन्नत्ते तं जहा-सुत्ताणुगमे अणिजुत्तिअणुगमे य ॥" एनो अर्थ तो पूर्वे आवी गयो छे. वली नियुक्ति अनुगम त्रण प्रकारे कह्यो छे. तेमज निक्षेप नियुक्ति अनुगम १ सूत्र स्पर्शिक नियुक्ति अनुगम २, उपोद्घात नियुक्ति अनुगम. ३ तेमा उपोद्घात नियुक्ति अनुगम २ मूल गाथाए कसो छ.-"उद्देसे निदेसे, निग्गामे खेत्तकालपुरिसे अ । कारण पञ्चयलक्खणणए समोयारणाणुमए ॥ १॥ किं कइविह कस्स कहिं, केस कह केचिरं हवइ कालं || कइ संतरमविरहियं, भवागरिसफासणनिरुत्ति ॥२॥" व्याख्या. उद्देशे के० सामान्य नाममात्र कहीशं. जेम अध्ययन ए, नाम । निदेशे के० विशेषे कहे जेम सामायक अध्ययन. २ तथा निग्गामे के० निर्गम कहेवो. यथा सामायक क्याथी नीकल्यु ? ३. तथा क्षेत्र कहेवू. ४ तथा काल कहेवो.५ यथा सामायिक कोण क्षेत्र कोण काले नीकल्यं ? ६ महासेन वनमा वैशाख शुद ११ ने दिने पहेले पहोरे,तथा पुरिसे अके०कोण पुरुपथी नीकल्यु ? ते कहे. तथा कारण केन्शा कारणे गौतमादिक भगवंत पासे सामायक सांभले छे? ते कहे. तथा पञ्चय के० प्रत्यय कहेवो. श्ये प्रत्यये भगवते कयं ? तथा गौतमादिके सांभल्यु ? जेम केवलज्ञानी हुँ माटे कहुंछु. गणधरजीने पण प्रत्यय सर्वज्ञनो थयो माटे सांमले छे. ८ तथा लरकण के० लक्षण कहे. यथा समकित सामायिके श्रद्धा करे, ए लक्षण. श्रुत सामायिके जाणे, ए लक्षण. देशविरती सामायिके देशथी त्याग याय. सर्व विरती सामायिके सर्वथी त्याग करे. इत्यादिक लक्षण ९ नए के नय कहेवा. १० तथा समोयारणा के० समवतार कहेवो. अनुयोग भेला हता तेवारे समवतार हता. आयंरक्षितजीए अनुयोग मिल करचा पछी समवतार नथी.,११ अणुमए के० कोणने कोण सामायिक अनुमत छे ? १२ इति प्रथमगाथार्य ।। १॥ किं के० सामायिक ते शु? ते
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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