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दोढसो गाथार्नु स्तवन
(१०३) ऋषभनिर्वाणे सौधर्मादिक दश, भवनपति वीश, व्यतर सोल, अने चंद्र सूर्य बे-एवं अडनालीश इंद्र कहा. ए केम ? ६० ठाणांगे ठाणे वीजे इंद्र चोसठ कह्या. ए केम ? ६१ उ. ववाइमां जघन्यथी सात हाथनी कायावाला मोक्षे जाय; वली कई जे जघन्पथी वत्रीश अंगुल सिद्धनी अवगाहना होय. ए लेखे ये हाथनी जघन्य थई. ए केम ? ६२ भगवती सूत्रना शतक चउदमाना उद्देशे आठमे सिद्धशिलाथी अलोक देशे उणु योजन का, अने उपवाइमां संपूर्ण योजन कथु ए केम ? ६३ समवायांगे छठा नरकना मध्यभागथी छठा घनोदधिनो चरमांन ओगणाएसीहजार योजन करो जीवाभिगमे पृथ्वी उपरना घनोदपिनो चरमांत एक लाख छत्रीश हजार योजन अंतर कहो. तो जीवाभिगमे एक लाख छत्रीश हजारनुं अर्थ करतां अहसठ हजार योजन थाय. ए केम ? ६४ समवायांगे अहाशुमे समवाये रेवती नक्षत्रथी जेष्ठा लगी ओगणीश नक्षत्रना तारा अठाणुं छेअने समवायांगमाज भिन्न भिन्न भेला करतां सत्ताणु थाय छे. ते एम के रेवती नक्षत्रना वत्रीश, अश्वनीना त्रण, भरणीना त्रण, कृत्तिकाना छ, रोहिणीना पांच, मृगशिरना अण, आर्द्रानो एक, पुनर्वगुना पांच, पुण्यना त्रण, अश्लेषाना छ, मघाना सात, पूर्वाफाल्गुनीना बे, उत्तराफाल्गुनीना वे, हस्तना पांच, चित्रानो एक, स्वातिनो एक, विशाखाना पांच, अनु. राधाना चार, अने जेष्ठाना त्रण, एवं सत्ताणु ए केम ? ६५ पनवणामां पंदरमें पदे घ्राणेद्रियनो नव योजननो उत्कृष्टो विषय कयो, अने रायपसेणीमां चारसे तथा पांचसेंनो कह्यो. ए केम ? ६६ भगवती शतक छठे उद्देशे सातमें पल्योपमर्नु मान कडं, तेम अनुयोगद्वारे पण काय; पण भगवतीमां असंख्याता खंडविना कुओभरचो. तेणे करी आरानां मान कयां. समयोजन को अने अनुयोगद्वारे भगवतीउक्त ने निःप्रयोजन का सूक्ष्म अद्धापल्योपम समयोजन कड्डु तेणे नारकी प्रमुखना आयु मविए. इत्यादिक घणी वातो छे. ए केम? ६७ पन्नवणामां तेत्रीशमे पदे असुरकुमारनी जघन्यथो पोश योजन अवधि तथा स.धर्मादिक जघन्य अंगुलनो असंख्यातमो भाग कह्यो ए केम? ६८ पनवणा सूत्रमा वावर देउकाय मनुष्य क्षेत्रमा होय तो उत्तराध्ययन ओगणीशमे अध्ययने नरकमा अनिकाय को ए केम? ६९ वली उत्तराध्ययनना वावीशमा अध्ययनमां शोरीपुरमा धुरे श्री नेमिनाथ कह्या दीक्षा लेता द्वारिकानगरीमाथी नीकल्या, तथा रामकृष्ण वंदना करी द्वारिकामां गया. तो शौरीपुर पूर्वमा अने द्वारिका पश्चिममां-ए केम? ७० ठाणांगे ठाणे सातमे अतीतउत्सर्पिणीमां आ भरतने विषे सात कुलगर थया, वली ठाणे दशमे कधु के दश कुलगर थया. ए केम? ७१ वली एमज आवती उत्सर्पिणीमा सातमे ठाणे कहीं के सात थशे. अने दशमे ठाणे कडं के दश थशे. ए केम ? ७२ जीवाभिगमे सौधर्म ईशान देवलोक वरावर रह्या छे अने भगवती सूत्रना एकत्रीसमा शतके सौधर्म थकी ईशान देवलोक लगारेक उं. चुं छे ए केम ? ७३ भगवती सूत्रमा शतक त्रीने उद्देशे वीजे असुरकुमारनो तीच्छयोंगति विषय, असंख्याता द्वीपसमुद्रनो कबो. नंदीसर लगे गया अने जो एम कई तथा शत. कवीने उद्देशे सातमे चमरानी सुधर्म सभाने विषे पुछयु त्यां कईं जे मेरु पर्वतथी दक्षि