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दोडसो गायार्नु स्तवन
(१०१) वारे छेवी न कल्पे, एटले कोइक वेला लीए एम कथु छ; अने मूगडांगना वीजा श्रुत स्कंधमां अध्ययन वीजे साधुवर्णने कई जे न कल्पे ए केम ? २९ वर्षाकालमां निग्रंथने नव विगइ वारे वारे लेवी न कल्पे तेम कल्पसूत्रे का छे, तथा भगवतो सूत्रना शतक आठमे उद्देशे नवमे कुरमाहारे नारकीर्नु आयु वांधे? ए केम ? ३० दशवकालिके अध्ययन त्रीजे लुण प्रमुख अनाचीर्ण कयु, अने आचारांगमां द्वितीयश्रुतस्कंध अध्ययन पहेले उद्देशे दशमे लुण वहोर्य होय वो पोते वावरे, सांभोगिकने बहेंची आपे. एम का ए केम? ३१ भगवती सूत्रे शतक अढारमे नींव तीखो कह्यो अने उत्तराध्ययनना चोतरीशमे अध्ययने नींव कडवो कह्यो ए केम? ३२ आचारांगना द्वितीयश्रुतस्कंधे ईर्याध्ययनमा जाणतो थको कहे जे नथी जाणतो; तथा दशकालिके त्रिविधे मृषावाद वर्ने. ए केम ? ३३ समवायांगे त्रेवीश तीर्थकरने सूर्योदयकाले केवलज्ञान उपन्युं कईं छे ने दशाश्रुतस्कंधमां नेमिस्वामिने पाछले पहोरे केवलज्ञान उपन्यु. ए केम ? ३४ वली समवायांगे तेमज ज्ञातामा मलिनाथने दीक्षादिनने पाछले पहोरे केवलज्ञान उपन्यु कयु. ए केम? ३५ उत्तराध्ययन वारमे अध्ययने जक्षे ब्राह्मणने इण्या कयु छे ने उववाइमां दश भकारनुं वैयावच्च का तो हण्या तेहने वैयावच्च कयु. ए केम ? ३६ ज्ञातामां कडं जे मल्लिनाथे त्रणसें स्त्रीओ, त्रणसें पुरुषो तथा आठ ज्ञातकुमार-ए लेखे छसें आठ साथे दीक्षा लीधी, अने ठाणांगमां सातमे ठाणे तो पोते सातमा एटले छ पुरुष साथे दीक्षा लीधी एम कडं छे ए केमी ३७ ठाणांगमा कयूं जे छ मित्र साये दीक्षा लोधी, अने ज्ञावामां केवलज्ञान उपन्या पछी छ मित्रोए दीक्षा लीधी. ए केम ? ३८ उत्तराध्ययन सोलमे अध्ययने पशु पंडगरहित वसति सेवे तो ठाणांगे पांचमे स्थानके साध्वी भेला बसे कन्यु. ए केम ? ३९ सूयगडांग सूत्रमा द्वितीय श्रुतस्कंधे पांचमे अध्ययने कघु जे दानने प्रशंसे ते पाणी वृद्धिने पामे छे, तथा निषेध करे तो सामानी वृत्ति छेद थाय माटे न बोलवू, एम कई अने भगवतीना शतक आठमे उद्देशे छठे श्रमणोपासक असंजतने आपतो एकांते पापकर्म करे, पण निर्जरा कांइ नथी. ए लेखे मूलगी ना कही ए केम ? ४० जवुद्वीपपन्नतीमा योजन पांचसेंगें नंदनवन तेहमां हजार योजननो वलकूट पहोलो मूले छे. ए केम? ४१ एम समवायांगे गजदंता उपर हजार योजन पहोला तेमां हरि तथा हरिस्सहकूट केम समाया? ए केम ? ४२ जंबुद्वीपपन्नत्तीमां ऋपभकूट मूले आठ योजन विस्तारे कह्यो, आगल एमांन पाठांतरे वार योजन कहो. सर्वज्ञना भाष्यामा पाठांतर शो ? ए केम ? ४३ जंबुद्वीपपनतीमा भरतार्द्धनी जीवा नव हजार सातसे अडतालीश ने ओगणीमा पार भाग कही अने समवायांगे नवहजार कही. एटलो फेर केम ? ४४ समवायांगे विमयादिक चारनी स्थिति जघन्ये वत्रीश सागरोपम, उत्कृष्ट तेतरीश सागरोपम कही छे, अने पनवणाना चोथा पदे जघन्ये एकतरीश, अने उत्कृष्ट तेतरीश कही ए केम ? ४५ समवायांगे ऋपभदेवजीने तथा महावीरने एक कोडाकोडीनो आंतरो को तथा दशाश्रुतधमां ऋषभदेवजी काल करी गया पछी नेव्यासी पखवाडीयां गया पछी वेतालीस हजार वर्ष अधिक नेव्यासी पख
तस्यच तथास.