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________________ ( २६ ) २२६ ३, १५८ १०३ २५७ अर्द्ध पुद्गलपरावर्तन अलव्धपूर्व अल्पबहुत्वदण्डक अवरोहक अविभागी प्रतिच्छेद अविमर्शक अवेदक अश्रद्धान भाग २२२, १५२ ० उत्कृष्ट स्थिति मत्त्व उत्तर (चय) उत्तरधन ८६ उत्पादानुच्छेद २०८, २०६, २१७ उदयादिअवस्थित गुणश्रेणियायाम उदयादि गुणश्रेणी उदयाभाव २४० उदयावलि वाह्य १०६ उदीरणा उदोर्ण - २४६ उद्घाटित २५३,९८१ उद्वेलना उद्वेलना काल उपयोग उपरिमस्थिति अष्टाक "या" आगाल आगाल-प्रत्यागाल आनुपूर्वी सक्रमण आन्तरिक स्थितिया ७२, २०८ ७२, २०८ १९७ ३०६ आवाघा ५८, १३८ आयाम उपशम १७७ आयुक्तकरण आरोहक श्रावली-प्रत्यावली अाहारक चतुष्क १६६ २५७ उपशमकरण उपशमकालक्षय निवन्धन उपशमावलि २५३ १७३ उपशामक ईपन्मध्यमसक्लेशपरिणाम उभयद्रव्यविशेप उर्वक २२४ ३३ २१२, १११ महापोह १७४ IS उच्छिष्टावलि उत्कर्पण उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध उत्कृष्ट अनुभाग सत्त्व उत्कृष्ट कर्म सचय उत्कृष्ट प्रदेश सत्त्व उत्कृष्ट स्थिति वन्ध एकान्तानुवृद्धि सयत १४६ प्रौदयिकभाव १५ ८ | करण २८
SR No.010662
Book TitleLabdhisara Kshapanasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mukhtar
PublisherDashampratimadhari Ladmal Jain
Publication Year
Total Pages656
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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