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________________ ( २० ) शब्द पृष्ठ परिभाषा है । क्योकि उपशम श्रेणी पर चढने वाले वेदक सम्यग्दृष्टि जीव यद्यपि उपशम सम्यक्त्व को प्राप्त करने वाले होते हैं, किन्तु उस सम्यक्त्व का "प्रथमोपशम सम्यक्त्व" यह नाम नहीं है । क्योकि उस उपशमधेशि वाले के उपशम सम्यक्त्व की उत्पत्ति सम्यक्त्व से होती है। इसलिये प्रथमोपशम सम्यक्त्व को प्राप्त करने वाला जीव मिथ्यादृष्टि ही होना चाहिये । (ववल ६/२०६) इसीलिये तो कहा है कि-सासादन सम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि अथवा वेदक सम्यग्दृष्टि जीव प्रथमोपशम सम्यक्त्व को नहीं प्राप्त होता है। क्योकि इन जीवो के उस प्रथमो. पशमसम्यक्त्व रूप पर्याय के द्वारा परिणमन होने की शक्ति का अभाव है। (घवल ६/२०६-७) कर्मों की स्थिति को अन्त.कोडाकोडी तथा अनुभाग को द्विस्थानिक करने को "प्रायोग्य लब्धि" कहते हैं । [ल० सा० गा० ७ पृ०७] नाम-गोत्र को वीसिया कहते हैं। (क्योकि इनकी उत्कृष्ट स्थिति वीस कोटा कोटी सागर होती है।) "वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श", इन चार नाम कर्मों का जोडा वर्णचतुष्क कहलाता है। क्षयोपशम लब्धि के होने पर साता आदि प्रशस्त (पुण्य) प्रकृतियो के वन्ध योग्य जो जीव के परिणामो का होना है. वही विशुद्धि लब्धि है। चारो अनन्तानुवन्धी कषायो की युगपत् विसयोजना होती है । विसयोजना अर्थात "अप्रत्याख्यानावरणादि १२ कषायरूप और ६ नोकपायो मे से ५ कपायरूप परिणमा देना ।" प्रायोग्य लब्धि बीसिया वर्णचतुष्क विशुद्धि लब्धि १ विसयोजना १६६ कहा भी है-अनन्तानुबन्धिचतुष्क के स्कन्धो के परप्रकृतिरूप से परिणमा देने को विसयोजना कहते हैं । ज० घ० २/२१५-१६ शेप शेप मे निक्षेप २६५, २६७ प्रर्यात गलितावशेष गुणश्रेणी।। सकल चारित्र १५७ सकल सावध के विरतिस्वरूप पाच महाव्रत, पाच समिति और तीन गुप्तियो को प्राप्त होने वाले मनुष्य के जो विशुद्धिरूप परिणाम होता है उसे संयम लब्धि या सकल सयम (सकलचारित्र) कहते है। अनन्तानुबन्धी प्रादि १२ कषायो की उदयाभाव लक्षण उपशामना के होने पर यह उत्पन्न होता है। यद्यपि यहा चार सज्वलन और नौ नौ कपायो का उदय है, परन्तु उनके सर्वघाति स्पर्घको का उदय नही रहने से उनका भी देशोपशम पाया जाता है।
SR No.010662
Book TitleLabdhisara Kshapanasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mukhtar
PublisherDashampratimadhari Ladmal Jain
Publication Year
Total Pages656
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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