SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 593
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा ३५४-६०] क्षपणासार [ २६३ क्रोधोदयसे श्रेणि चढ़नेवालेसे मानकी प्रथमस्थितिमें विभिन्नता क्यों हुई ? समाधान-मानको इतनी लम्बी प्रथमस्थितिके बिना नव नोकषाय, तीनप्रकारके क्रोध और तीनप्रकारके मानकी उपशामनाक्रियामें समानता नही हो सकती थी। इसलिए मानोदयसे श्रेणि चढनेवालेके मानकी प्रथम स्थिति, क्रोधोदयसे श्रेणि चढनेवालेके क्रोध और मानकी प्रथमस्थितिके सदृश; जहांकी तहा होती है। मानोदयसे श्रेणि चढनेवालेके इससे ऊपर शेष कषाय अर्थात् माया व लोभकी उपशामना विधि वही है। अब उपशमश्रेणिसे गिरनेवालेके विषयमे विचार किया जाता है-मानकषायके उदयसे उपशमणि चढकर उपशान्तकषाय नामक ११वे गुणस्थानमें अन्तमुहूर्तकालतक ठहरकर गिरनेवाले जोवके जब कृष्टिगत व स्पर्धकगत तथा मायाका अपने-अपने स्थानपर वेदन करता है तबतक किंचित् भी नानापना ( विभिन्नता ) नहीं है, क्योकि वहांपर वही पूर्वोक्त अवस्थित आयामवाला गुणश्रेरिण निक्षेप व दोनों कषायोका अपने-अपने पूर्व वेदककालमें वेदन करता है।' उसके आगे मानका वेदन करनेवालेके विभिन्नता है । क्रोधोदयसे चढनेवाले व चढ़कर पुनः उतरनेवाले मानवेदकके अपने वेदककालसे कुछ अधिक अवस्थित गुणश्रेणि आयाममें निक्षेपणा होता है । क्रोधका अपकर्षण होनेपर बारह कषायोकी ज्ञानावरणादि कर्मोका गुणश्रोणिके सदृश प्रसारणवाले गलितावशेष गुणश्रेणि-आयाममे विन्यास होता है, किन्तु मानोदयसे चढ़नेवाले व चढकर पुन उतरनेवालेके तीनप्रकारके मानका अपकर्षण होनेके अनन्तर ही नवकषायोका, ज्ञानावरणादि कर्मोंकी गुणश्रेणिके सदृश आयामवाली गलितावशेष गुणश्रेणिमें निक्षेप होकर अन्तरको पूरा जाता है, इतनी विभिन्नता है। जिस कषायोदयसे श्रेण्यारोह करता है उसी कषायको अपकर्षित करनेपर अन्तरको भरना व ज्ञानावरणादिकी गुणश्रोणिके तुल्य उदयावलिसे बाहर गलितावशेष गुणश्रेणि निक्षेपका आरम्भ करता है । १. जयघवल मूल पृ० १६१७-१८ सूत्र ५४८-५५७ । २. ज. घ. मूल पृ. १९१६ सूत्र ५६० की टीका ।
SR No.010662
Book TitleLabdhisara Kshapanasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mukhtar
PublisherDashampratimadhari Ladmal Jain
Publication Year
Total Pages656
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy