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________________ ( १४३.) भगवई-स्त्री-भगवती. अहिंसा-स्त्री-अहिंसा. परयण-पुं-पर माणस. .. पंथ-पुं-रस्तो. पलालपूल-पुं-वासनो पूळो. . पराभव-पुं-पराजय. निग्गह-पु-दंड. . जणणी-स्त्री-माता. भव-पु-संसार. . जइधम्म-'-साधुनो धर्म. कणअकोडि-स्त्री-सोनानी कोड. रक्वण-न-रक्षण, बंभन्वय-न-ब्रह्मचर्य. पवेस-पुं-प्रवेश. फलविवाअ-पुं-फल परिणाम. सम्मादिवि-पुं-सारी दृष्टिवालो. सया-अ-हमेशा. गहिअव्वयभंग-पुं-लीधेलव्रतनो भंग. | पंडित्त-न-पांडित्य. खन्ति-स्त्री-क्षमा. निमित्तमित्त-अ-निमित्तमात्र. महाविजा-स्त्री-मोटी विद्या. धाराहय-वि-धाराथी हणायेल. . दुरिअ-न-पाप. पलोअन्त-(वर्त-कृ) वि-जोतो. विकहा-स्त्री-विकथा. विहिकय-वि-कर्मथी करेल. पञ्चमी-स्त्री मी. सयण-पुं-स्वजन. किया-त्री-क्रिया. मच्छ-पुं-माछटुं. चन्दणभारवाहि-वि-चदननो भार | उच्छलिअ-(भूत-कोवि-उच्छळेलु. वहनार. आरत्त-वि-खूब लाल. परोक्यारकरणिकतलिच्छ-वि समर-न-युद्ध स्थळ. परोपकारमांज तत्पर. उसमदत्त-पुं-विशेषनाम. जम्बूदीव-पु-जम्बूद्वीप. सिरीकन्ता-स्त्री-विशेषनाम. दीव-पुं-बेट. विदेह-पुं-क्षेत्रनुं नाम. निरुवम-वि-अनुपमेय. खेत्त-न-क्षेत्र. चन्दाणणविमाण-न-चन्द्रानन नामर्नु देवधर. अपरिमिअ-(भूत-कृ)वि-नहि मापेल. आउअ-न-आवरदा. निहाण-न-निधान. चुअ-(भूत-कृ)वि-च्युत, चवेल अणुगारि-वि-अनुकरण करनार. | सुद्द-पुं-शूद्र.
SR No.010661
Book TitlePrakrit Margopdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1919
Total Pages195
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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