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सुप्तः- सुत्तो ; निश्चल:-* निञ्चलों; निष्ठुः- निरो; स्खलितःखलिओ; दुःखं - दुक्खं, अन्तपातः-अन्त पाओ.
( व ) कोइपण व्यञ्जन थकी पर जोडायेला म्, न्, य् लोपायछे, जेम- युग्मं- जुग्गं, नग्नः- नग्गो; श्यामा- सामा. (क) जोडाक्षर महिला 'लू, व, (च) तथा र' सर्वत्र लोपायछे. जेम - उल्का- उक्का; लक्षणं- सण्हं शब्द:- सहो; उल्बणं- उल्लणं, पर्क- पक्कं; वर्ग:- वग्गो; चक्रं - चकं. (ड) 'द्र' मां रहेलो 'र्' विकल्पे लोपायछे समुद्रः- समुद्दो, समुद्रो. तेमज 'श' (ज्ञ) नी अंदर ञ्नो लोप विकल्पे थायछे, जेम- जाणं, णाणं.
(१२) (अ) दीर्घ स्वर तथा अनुस्वार सिवाय वाकीना स्वर तथा व्यञ्जन पछी आवेला र् तथा हू सिवायना शेप ( संयुक्त व्यंजन मांहेना एकनो लोप थइ अवाधी जे एक व्यंजन वाकी रहे ते ) व्यंजननो तथा आदेश ( अमुक एक व्यंजनना स्थानमां कोइ वीजो व्यंजन थाय ते) व्यंजननो द्विर्भाव थायछे. उदाहरण - शब्द:- सहो, पुष्पं- पुष्कं प्रत्युदाहरण- स्पर्श:फासो, सिंहः- सिंघो. ब्रह्मचर्य - वम्हचेरं; विह्वल:- विहलो. ( ब ) आ नियम समासनी अंदर विकल्पे लागे छे; जैमकुसुमप्रकरः- कुसुमप्पयरो, कुसुमपयरो; देवस्तुति:- देवत्युई; देवथुई.
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(क) ' (अ) ' नियम प्रमाणे द्विर्भावथी थपला “ख्खू, छछ्, ठ्ठ्ठ्, थ्थ्, फ्फ्, ध्य्, इझू, ढ्ढ्, ध्ध्, भूना स्थानमां अनुक्रमे क्खू, च्छ्, ठ्, त्थू, प्फू, ग्घ्, ज्झ, इद, दूध्, तथा च्भू, थायछे. जेम - व्याख्यानं - वक्खाणं; मूर्छा-मुच्छा; कष्टं कर्ड:
* अहिं नाल पाठनो नियम ६ टो लागतो नथी.