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(१३९) (७) प्राकृतमा क्ष् नो ख्. श्, नो स्; छु, ५, य्यूनो ज्; स्त्
नो थ्, प्यू, स्नो प; मा नो ; मनो स्; इम्, क्मनो अने ष्टनो स् थायछे. जेम-क्षयः-खयो; शब्दःसद्दो, कपाय:- कसायो; मचं- मज, भार्याः-- भजा, जय्य:जजो; स्तुतिः- थुई; निष्पावः- निष्फावी, बृहस्पति:- वुहम्फई 'निम्न-निणं; ज्ञान- णाणं, मन्मथ:-वम्महो, कुडमलं-कुंपलं; रुक्मिणी-रुप्पिणी; कष्टं- कह.
अपवाद:
(१) समस्त, तथा स्तम्ब शब्दनी अन्दर स्तनो थ् थती नथी;
जेम- समतो, तम्बो. (२) उष्ट्र, इटा तथा संदिष्ट; फक्त आ त्रण शब्दोनी अन्दर
नोट थत नथी. जेम- उट्टो, इट्टा, संदिट्टो. (८) ग्मनो म तथा हनो भू विकल्पे थायछे, जेम- युग्म- जुम्म,
जुग्ग; विह्वलः- विमलो, विहलो. (९) छन् , प्ण, स्न् , ह, हू, क्ष्णूनो ण्ड् थायछे, जेम-प्रश्नः
पण्हो; विष्णुः-विण्ह, स्नातः-हाओ, वह्निः-चण्ही; पूर्वाह्णः
पुव्वण्हो; तीक्ष्णं-लिण्हं. (१०) श्म्, एम् , स्स्, मनो म्ह् थायछे, तेगज हनो र थायछे.
जेम- कुश्मानः- कुम्हाणो; ग्रीष्मः- गिम्हो; विस्मयः-विम्हयो; . ब्रह्मा-चम्हा; आबाद: आल्हायो. (११) (अ) कोइपण व्यजननी पूर्वमा जोडायेला क, ग, , ,
'त, दु, ए, श् , , स् , जिह्वामूलीय (४), तथा उपध्मानीय (४) नो लोप थायछे. जेम- भुतं- भुत्तं; दुग्धं-दुद्ध; कटफलं-कप्फलं खड़ा- खगो उत्पलं उत्पलं, मुद्र-मुग्गरो