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________________ यतिधर्म विशेष देशना विधि : ३९९ पाता हैं, चारित्री - विशिष्ट चारित्रवाला (भाव यति); सर्वदेवेभ्यःभवनवासीसे लेकर अनुत्तर विमानवासी देव तकके सर्व देवताओंसे अधिक सुख प्राप्त करता है । कोई एक महिना, कोई दो महिना - इस प्रकार अनुक्रमसे जो 'चारह महिने तक उत्कृष्ट चारित्र पाले ऐसा उत्तम भावयति भवनपतिसे प्रारंभ करके विमानवासी देवताओं तक सब देवोंके सुखसे अधिक सुख प्राप्त कर सकता है । + भगवती सूत्र में इस बारेमें इस प्रकार कहा है 1 इस वर्तमान कालमें विचरण करते हुए श्रमण निर्ग्रन्थ किससे - मक्किक चित्तको सुख देनेवाले तेजको धारण कर सकता है ? इस प्रश्नका उत्तर इस प्रकार है- 2 एक मासका चारित्र पर्याय पालन करनेवाला साधु ( श्रमण निर्ग्रन्थ) वाणञ्यंतर देवताओंसे अधिक सुख प्राप्त करता है । दो मास तक चारित्र पर्याय पालनेवाला साधु असुरेंद्र बिना भवनपति देवताओं से अधिक सुख प्राप्त करता हैं। तीन मास तक चारित्र पर्यायवाला साधु असुरेन्द्रसे अधिक सुख प्राप्त करता है । चार मास पर्यायवाचा साधु चंद्र व सूर्यको छोड़कर सब ग्रह नक्षत्र और तारारूप ज्योतिष्क देवताओंसे अधिक सुख प्राप्त करता है । पाच मासपर्यायवाला चंद्र व सूर्य ज्योतिष्क देवताओंसे अधिक सुख प्राप्त करता है । छ मास पर्यायवाला साधु सौधर्म व ईशान के देवताओं से अधिक सुख प्राप्त करता है । सात मासवाला सनत्कुमार व माहेन्द्र
SR No.010660
Book TitleDharmbindu
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorHirachand Jain
PublisherHindi Jain Sahitya Pracharak Mandal
Publication Year1951
Total Pages505
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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