________________ (56) वचनगुप्ति-वाणी वा वचनों को भले प्रकार वश में करना तथा सर्वथा मौन धारण करना / कायगुप्ति / शरीर को स्थिर करना तथा परीषह आने पर भी पर्यकासन से न डिगना। श्रीशुभचन्दाचार्य महाराज कहते हैं कि पांच समिति और तीन गुप्ति ये आठों संयमी पुरुषों की रक्षा करने वाली माता है तथा रत्नत्रय को विशुद्धता देनेवाली है / इन से रक्षित मुनि दोषों से लिप्त नहीं होते। समाप्त.