________________
[10]
किया गया है ।। 'बालरामायण' की रचना तक महेन्द्रपाल भी यशस्वी हो चुके थे और आचार्य राजशेखर
ने भी प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली थी। उनकी ख्याति सभी दिशाओं में फैल गई थी।
निर्भयनरेन्द्र महेन्द्रपाल का ही उपनाम अथवा विरुद था। राजशेखर ने 'बालरामायण' में स्वयं को निर्भयनरेन्द्र महेन्द्रपाल का गुरू कहा है। यह निर्भय और महेन्द्रपाल एक ही व्यक्ति हैं। 'बालरामायण' का रचनाकाल 905 ई० के लगभग है, तथा महेन्द्रपाल की अन्तिम ज्ञात तिथि 907 ई० है। अतः राजशेखर महेन्द्रपाल के समय में थे और प्रसिद्धि भी प्राप्त कर चुके थे। आचार्य राजशेखर महीपाल प्रथम के शासनकाल में :
महेन्द्रपाल प्रथम के बाद उसके ज्येष्ठ पुत्र भोज द्वितीय ने सत्ता संभाली, किन्तु वह अधिक दिनों तक नहीं रहा। तत्पश्चात् उसके द्वितीय पुत्र महीपाल प्रथम ने लगभग 912 ई० में राज्यभार संभाला और लगभग 943 ई० तक शासन किया। आचार्य राजशेखर के द्वितीय नाटक 'बालभारत' की प्रस्तावना में गुर्जरप्रतिहारवंशी महेन्द्रपाल के पुत्र महीपाल के विजय अभियानों का उल्लेख है 5
हडल ग्राम से प्राप्त महीपाल के अभिलेख में उसकी तिथि 914 ई० उत्कीर्ण है 6
1 "भो भो भुजस्तम्भालानितलक्ष्मीकरेणुना रघुकुलैकतिलकेन महेन्द्रपालदेवेनाधिकृतः सभासदः---------
(बालरामायण, प्रथम अङ्क, पृष्ठ - 2) 2. 'फुल्ला कीतिर्धमति सुकवेर्दिक्षु यायावरस्य"
(बालरामायण, प्रथम अङ्क, श्लोक - 6) 3 (क)-"निर्भयगुरूळधत्त च बाल्मीकिकथां किमनुसृत्य----" । (बालरामायण, प्र० अं०, पृष्ठ - 5) (ख)-वयं वा गुणरत्नरोहणगिरेः किं तस्य साक्षादसौ। देवो यस्य महेन्द्रपालनृपतिः शिष्यो रघुग्रामणीः॥
(बालरामायण, प्रस्तावना - श्लोक - 19)
4. "Aufrecht had declared Mahendrapal and Nirbhaya to be one and the same person
and their identify was proved by Pischel. Nirbhaya, accordingly, is a biruda of Mahendrapal." 'Rajshekhar's Karpurmanjari' 'Rajshekhar's life' Page - 177
S.R. Konow, C.R. Lanman 5 "नमितमुरलमौलिः पाकलो मेकलानां रणकलितकलिङ्गः केलिकृत्केरलेन्द्रैः। अजनि जितकुलूतः कुन्तलानां कठारी हठविहतमठ श्रीः श्रीमहीपालदेवः॥"
(बालभारत, प्रस्तावना - श्लोक ।) 6 इण्डियन एण्टीक्वेरी
जिल्द-12, पृष्ठ-193 (पाद टिप्पणी )