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भी उत्तीर्ण की है। आपश्री की मातेश्वरी ने व बडे भाई ने भी (श्री रमेशमुनि) सयम ग्रहण किया है। आपश्री द्वारा लिखित अनेक ग्रन्थ हमारी संस्था से प्रकाशित हो चुके है जिसे पाठको ने बडी चाव से अपनाया है । आशा है प्रस्तुत पुस्तक भी पूर्व पुस्तको की भॉति लोकप्रिय बनेगी।
हम प्रोफेसर श्री लक्ष्मण भटनागर जी का एवं माननीय श्रीचन्दजी सुराना का हार्दिक आभार मानते है जिन्होने पुस्तक के सम्बन्ध मे सहयोग प्रदान किया है ।
मन्त्री श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय
शास्त्री सर्कल उदयपुर (राजस्थान)