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[ कवि जांन कृत
६ पहाड़खां, ७ लाडखां, ८ दाऊदखां, ९ अबन, १० महमदसाह | दौलतखां, अहमद अबंन, लाड फरीद निजाम । महमद नूर पहारखां, खां दाऊद समांम ॥ ४४६ ॥ जलाल खांको बखान
जलाल ।
जबहिं भये बस कालके, फतिहखांनु सिरमौर । तब जसवंत जलालखां, भये पिताकी ठौर ||४४७ ॥ कोट करयो हो फतिहखां, तापर कीनौ और । कीनी खांन जलालने, बडड़ी बाँकी पौर ||४४८ || दिल्लीकै पतिसाहकौं, बदैनखांनु नागौरीको दुख दये, लूटि लूटि लै माल || ४४६ ॥ नागोरीखां रिस भयो, दल कीने अनग्यांन । बीरौ फेर्यो सभामें, लयो मुगल चौपांन ॥ ४५० ॥ कटरा थल जागीर ही, इत दल साजे आइ सुनियत बात जलालखां, बैठ्यो सेन वनाइ ।।। ४५१ ।।
जलाल खां चौपानखां
आगे जीत्यो
"
मुगल
उतते आयो रोसमै, लरन चौप चौपान | इतते दोर्यो अतुलि बल, खां जलाल चहुवांन ॥ ४५२ || येक वार छाडे भले, ताते मुगलनि बांन । किते येक घाइल भये, मानस अरु केकांन ॥ ४५३ ॥
सके न बान चलाइकै, गये जांन तक्यो चौपानखां, मनहु बाज चिरिया गही, छाडि दयो चौपानखां, दयो नितंबनु दाग | हाथी घोड़े दर्ब रजु, लाज गयो सव त्याग ॥४५६ ||
जबहि जलौ सब संगसौं, लई येक वर बाग । मुगलवा भाग ॥ ४५४।। पुंहच्या खांनु जलाल । पकर लयो ततकाल ॥ ४५५ ॥