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क्यामखां रासा; टिप्पण]
(३) क्यामखांका कार्यकाल विशेषतः फ़िरोज़शाहकी मृत्युके बाद है। रासा वाली आयु मानने पर हमें यह भी मानना होगा कि क्यामखांके मुख्य युद्ध आदि उसके ६४ वर्पके हो जानेके याद हुए।
(४) रासाके अनुसार क्यामखांका पुत्र ताजखां बहलोलखां लोदीके राज्यमें वर्तमान था। बहलोल सन् १४५१ में गही पर बैठा। ताजखांको उस समय ६० सालका माने तो उसका जन्म सन् १३९१ में होना चाहिये । रासा द्वारा दी गई क्यामखांकी आयु स्वीकृत करने पर हमें यह मानना पड़ेगा कि क्यामखांके सब से बड़े पुत्रका जन्म उस समय हुआ जब क्यामखां ६७ वर्षका हो चुका था। पृष्ठ २७, पद्यांक ३११. खिजरखानुपै ना गये, रह्यो बुलाइ बुलाइ ।
बैठे रहे हिसारमैं कर्यो जूहार न जाइ ॥ रासाके इस कथनके अनुसार कायमखांके पुत्रोंने हिसारको अपने अधिकारमें रखा; किन्तु तारीख मुवारकशाहीसे स्पष्ट है कि अपनी मृत्युसे कुछ पूर्व खिन्नखांने हांसी और हिसार मलिक रजव नादिरको दिये थे। खिज्रखांके पुत्र मुबारकशाहने हिसार अपने सम्बन्धी मलिक-उशशक मलिक बदाको सौंप दिया। पृष्ठ २७, पद्यांक ३५३-१५.
रासाने सादः वंशकी सूची इस प्रकार दी है(१) खिज्रखा (२) मुबारक (३) मुहम्मद फरीद (१) अलाउद्दीन (५) अमानतखां
इनमें तीसरे सुल्तानका नाम अशुद्ध है । वास्तवमें यह नाम न मुहम्मद था, और न फरीद ही । ठीक नाम मुहम्मद शाह विन फरीदशाह है। रासाने पिता और पुत्रके नाम मिला दिये हैं। फरीदशाह सुल्तान मुबारकशाहका पुत्र था। अमानतखांके राज्यका वर्णन हमे मुस्लिम इतिहासमें
नहीं मिलता। अलाउद्दीनके समयमें ही दिल्लीका राज्य सय्यदोंके हाथसे निकल गया। केवल 'यदाऊका जिला ले कर उसने दिल्लीकी बागडोर अपने सामन्त बहलोलशाहके हाथमें सौंप दी। पृष्ठ २७, पद्याङ्क ३१७. ढोसी ऊपर अखन है......
अखन शायद इख्त्यारखांका नाम है । (देखिये, अग्रिम ३१८ वां पद्य)। पृष्ठ २८, पयांक ३३१. ताजखांनुं महमदखां, दोउ रहे हिसार ।
ठौर पिता राखी भले......॥ रासाके इस पद्यमें फिर क्यामखानियों के हिसार पर अधिकारका वर्णन किया गया है।