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________________ २४८ तत्त्वानुशासन अपनी विशेषता है। उनकी भापा सरल और धारावाहिनी तथा शैली तर्कपूर्ण और मोजस्विनी है।" "पुस्तक बड़े कामकी है और बहुत सुन्दर छपी है।" २. प० वशीघर व्याकरणाचार्य, बीना (सागर)__ "कभी भी नष्ट नहीं होनेवाली उपयोगिता ही इस (निवन्धावली). को विशेषता है।" ३ श्री कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, सम्पादक 'नया जीवन' सहारनपुर .... सग्रहीत निवन्धोमे साहित्य और इतिहास दोनोंका समन्वय है । निबन्ध गहरे हैं, ज्ञानवर्षक हैं और मुख्तार साहबके स्वभावानुसार राई-रत्ती छान-खोजकर लिखे गए हैं । आश्चर्य है कि ४८४ पृष्ठकी इतनी उत्तम सजिल्द पुस्तकका मूल्य कुल ५ रुपए हैं।" ४ सम्पादक 'सन्मतिसन्देश' दिल्ली .. "जिन-जिन विषयों पर आपके निवन्ध प्रकाशित हुए हैं वे सभी विषय महत्त्वपूर्ण, सामयिक एव क्रान्तिकारी हैं। उनसे एक सुलझा हुआ मार्गदर्शन मिलता है । • • युगान्तरकारी इन विचारोको पढ़कर' श्राप धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक प्रश्नोका समाधान पा सकगे । इन विचारोके प्रचारको अत्यन्त आवश्यकता है।" ५. श्रीलक्ष्मीचन्द जैन एम० ए०,सम्पादक लोकोदयग्रन्थमाला' कलकत्ता "आपका कृतित्व सब प्रकारसे महत्वपूर्ण है। इसके प्रकाशनसे विद्वानोको और समाजको काफी लाभ पहुँचेगा।" ६. सम्पादक 'नवभारत टाइम्स' दिल्ली "प्रस्तुत ग्रन्थ प्राचार्य श्री मुख्तार साहवके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ज्ञानवर्धक मौलिक निवन्धोका संग्रह है। इन लेखोमे वर्तमान परिसिथियोंको ध्यानमे रखकर वैयक्तिक और सामाजिक मार्गदर्शनकी प्रचुर सामग्री सकलित है। त्याग, सेवाभाव, कर्तव्यनिष्ठा प्रादिके सम्यक् विवेचन के कारण यह ग्रन्थ चिरतन महत्वका एवं सर्वोपमोगी है। यह निवन्धावली अपनी असीम उपयोगिता और उपादेयताकी दृष्टिसे स्कूलो कालेजो एव यिद्यालयोके विद्यार्थियोके लिये अध्ययन, चिहान भाव मननकी पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत करती है।" मत्री 'वीरसेवामन्दिर-ट्रस्ट, दरियागज, दिल्ली
SR No.010640
Book TitleTattvanushasan Namak Dhyanshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages359
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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