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________________ २०८ सप्तविकाप्रकरण परम्पर संवेधको बतलाते हुए कहाँ किनने उदस्थान प्राप्त होते हैं, इसका भी उल्लेख करेंगे। बाईल प्रकृतिक बन्धस्थानके ममय सत्तास्थान तीन होते हैं२८, २७ और २६ प्रकृतिक । खुलासा इस प्रकार है-वाईम प्रकृनियोका बन्ध मिच्याष्टि जीवके होता है और इसके उदयम्यान चार होते हैं-७, ८,९. और १० प्रकृतिक। इनमेंसे सान प्रऋतिक उदयन्थानके समय एक अट्ठाईस प्रकृतिक ही सत्तास्थान होता है, क्योकि सात प्रकृतिक उदयन्यान अनन्तानुवन्धीके उदयके बिना ही प्राप्त होना है और मिथ्यात्वमें अनन्तानुवन्धीके उदयका अभाव उसी जीवके होता है जिसने पहले सम्यग्दृष्टि रहते हुए अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विसंयोजना की और कालान्तरमें परिणामत्रशसे मिथ्यात्वमें जाकर जिमने मिथ्यात्वके निमिनसे पुन. अनन्तानुवन्धीके बन्धका प्रारम्भ किया उसके एक प्रावलि प्रमाण कालनक अनन्तानुवन्धीका उदय नहीं होता है। किन्तु ऐसे जीवके नियमन अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्ता पाई जाती है, अतः यह निश्चित हुआ कि सात प्रकृतिक उदयस्यानमें एक अहार्डम प्रकृतिक सत्तास्थान ही होता है। आठ प्रकृनिक उदयन्धानमें उक्त नीनों सत्तास्थान होते है, क्योंकि पाठ प्रकृतिक उदयन्यान दो प्रकारका है-एक तो अनन्तानन्धीके उदयसे रहित और दूसरा अनन्तानुबन्धीके उदयसे सहित । इनमेंसे जो अनन्नानुवन्धीके उदयसे रहित आठ प्रकृतिक उदयम्यान है उसमें एक अट्ठाईस प्रकृतिक सत्ताधान ही प्राप्त होता है। इसका खुलासा ऊपर किया ही है। नया जो अनन्तानुन्धोके उदयसे युक्त आठ प्रकृतिक उदयस्थान है उसमें उक्त तीनो ही सत्तास्थान बन जाते हैं। जबतक सम्यक्त्वकी ज्वलना नहीं होती तबतक अट्ठाईस प्रकृतिक सत्त्वस्थान होता है। सम्यक्त्वक्री उद्धतना हो
SR No.010639
Book TitleSaptatikaprakaran
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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