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(२७)
। हेम-शिलासे जगमें जैसे
हेम किया जाता न्यारा ॥
। नहिं अभावमय सिद्धि इष्ट है, । नहिं निजगुण-विनाशवाली; । सत्का कभी नाश नहिं होता, ___ रहता गुणी न गुण-रवाली। जिनकी ऐसी सिद्धि न उनका
तप-विधान कुछ बनता है। आत्मनाश-निजगुणविनाशका
कौन यत्न बुध करता है ? १दीपनिर्वाणादिकी तरह आत्माके नाशरूप ।। २ ज्ञानादि विशेष गुणांके अभावको लिये हुए।। । ३ अभावमय अथवा निजगुणोंके विनाशरूप ।
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