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उस राजमहलमें अनेक राजा रहते हैं जिनके कि जाज्वल्यमान अन्तर्गत तेजसे शत्रुओं का नाश हो गया है और बाहरी सत्र प्रकारकी क्रियाएं अतिशय शान्त दिखलाई देती हैं। सारे जगतकी चेष्टाएं जिन्हें साक्षात् सरीखी हो रही हैं, अपनी विचक्षण बुद्धिसे जिन्होंने अपने समस्त शत्रुओंको जान लिया है, और समस्त नीतिशास्त्रोंको जो जानते हैं ऐसे मंत्रीगणोंसे भी वह राजमहल भर रहा है। ऐसे असंख्य योद्धा भी वहां रहते हैं, जो रणांगन में अपने साम्हने साक्षात् यमराजको भी देखकर नहीं डरते हैं ।
करोड़ों नगरों, असंख्य ग्रामों तथा खानियोंका निराकुलतासे परिपालन करनेवाले - प्रबन्ध करनेवाले नियुक्तकोंसे ( कामदारोंसे ) तथा अतिशय स्वामिभक्त चतुर तलवगिकों (कोटपालों ) से वह राजमहल संकीर्ण हो रहा है। ऐसी बुड्डी स्त्रियोंसे भी वह महल शोभित है, जिनकी विषयवासनाएं नष्ट हो गई हैं, और जो उन्मत्त स्त्रियोंको रोकमें तत्पर रहती हैं । वह राजभवन अनेक सुभटोंसे चारों ओरसे घिरा हुआ रहता है और सैकड़ों विलासिनी स्त्रियोंकी शोभासे देवलोकको भी जीतता है ।
सुन्दर कंठवाले तथा प्रयोगोंके जाननेवाले गवैयों द्वारा गाये हुए और वीणा तथा वेणुके (बांसुरी के) शब्दों से मिले हुए गायनोंसे वह राजमहल कानोंको सुखी करता है, चित्तको अपनी ओर खींचनेवाले विचित्र २ प्रकारके सुन्दर चित्रोंसे अतिशय सुन्दरताके कारण नेत्रोंको जहां तहां निश्चल कर देता है, अर्थात् जो जिस चित्रको देखता है, उसके नेत्र उसीपर गढ़ जाते हैं, अतिशय सुगंधित चन्दन, अगरु, कपूर, कस्तूरी आदि पदार्थोंसे नासिकाको अमोदित करता है, कोमल वस्त्र, कोमल रुईकी शय्या, तथा सुन्दर स्त्रियोंके संयोगसे उनके योग्य स