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अन्य-परीक्षा
और उनका पालन; देहली आदिका पूजन; दक्षिण वाम स्वरसे प्रश्नोंको उत्तरविधान; सामान्य उपदेश; चंन्द्रवलादिकके विचार करनेकी प्रेरणा देवमूर्तिके आकारादिका विचार; मंदिरनिर्माणविधि; भूमिपरीक्षा; काठे.. पाषाणपरीक्षा; स्नानविचार; क्षौरकर्म (हजामत ) विचार; वित्तादिकके अनुकूल शंगार करनेकी प्रेरणा; नवीनवस्त्रधारणविंचार; ताम्बूल भक्षणको प्रेरणा और विधि; खेती, पशुपालन और अन्नसंग्रहादिकके द्वारा धनोपार्जनका विशेष वर्णन; वंणिक्व्यवहारविधि; राज्यसेवा; राजा, मंत्री, सेनापति और सेवकंका स्वरूपवर्णन; व्यवसायमहिमा; देवपूजा; दानी प्रेरणा; भोजन कब, कैसा, 'कहाँ और किस प्रकार करना न करना आदि; समय मालूम करनेकी विधि, भोजनमें विषंकी परीक्षा; आमदनी और खर्च
आदिका विचार करना; संध्यासमय निषिद्ध कर्म; दीपकशकुन रात्रिको निषिद्ध कर्म; कैसी चारपाई परं किस प्रकार सोना; वरके लक्षण; वधूकें लक्षण; सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार शरीरके अंगोपांग तथा हस्तरेखादिकके द्वारा पुरुषपरीक्षा और स्त्रीपरीक्षाका विशेष वर्णण लगभग १०० श्लोकोंमें. विषकन्यांका लक्षण; किस स्त्रीको किस डांटसे देखना; त्याज्य स्त्रियाँ . स्त्रियोंके पद्मिनी, संखिनी आदि भेद; स्त्रियोंका वशीकरण; सुरतिके चिह्न अंतुभेदसे मैथुनभेद; स्त्रियोंसे व्यवहार; प्रेम टूटनेके कारण पतिसे . विरक्त स्त्रियोंके लक्षण; कुलस्त्रीका लक्षण और कर्त्तव्य; रजस्वलाका . व्यवहार; मैथुनविधि; वीर्यवर्धक पदार्थोंके सेवनकी प्रेरणा; गर्भमें बालं- . कंके अंगोपांग बननेका कथन, गर्भस्थित बालकके स्त्री-पुरुष नपुंसक । होनेकी पहचान; जन्ममुहूर्तविचार; बालकके दाँत निकलने पर शुभाशु-. भविचार; निद्राविचार; ऋतुचर्या, वार्षिक श्राद्ध करनेकी प्रेरणा; देशं ।
और राज्यका. विचार; उत्पातादि निमित्तविचार, वस्तुकी तेज़ी. मंदी । जाननेका विचार; ग्रहोंका योग, गति और फलविचार; गृहनिर्माणविचार; गृहसामग्री और. वृक्षादिकका विचार; विद्यारम्भके लिए नक्षत्रादि::
निषिद्ध कर्म; कैसी चा सध्यासमय निषिद्ध कक्षा; आमदनी और भाई
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