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श्रीदेवसेनाचार्यविरचित
दर्शनसार।
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मूल, संस्कृतच्छाया, हिन्दी अर्थ और
विस्तृत विनेवचसहित ।
[जैनहितैषीसे उद्धृत]
सम्पादक और प्रकाशक
नाथूराम प्रेमी जैनग्रन्थरत्नाकरकार्यालय,
हीराबाग, बम्बई।
भाद्र १९७४ वि०।
प्रथमावृत्ति।
[मूल्य चार आना