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( ५२६ )
सुंसुमारगिरि
कौशाम्बी
पारिलेय्यक
नाला
वेरंजा
चालय पर्वत
श्रावस्ती ( जेतवन)
कपिलवस्तु
आलवी
राजगृह
चालिय पर्वत
राजगृह श्रावस्ती ( जेतवन) वैशाली (पूर्वाराम)
परमत्थजोतिका
परमत्थजोतिका खुद्दक निकाय के खुद्दक पाठ और सुत्तनिपात की अट्ठकथा है | इसमें लिच्छवियों की उत्पत्ति की मनोरंजक कथा है, जिसका विवरण हम यहाँ विस्तार भय के कारण नहीं दे सकते । परमत्थजोतिका के अन्तर्गत खुद्दक पाठ की अट्ठकथा के प्रसंग में अनाथपिंडिक के आराम जेतवन, राजगृह के १८ विहारों, सप्तपर्णी गुफा और वैशाली आदि के विशेष में विशेष सूचना दी गई है । महाकाश्यप, आनन्द और उपालि आदि भिक्षुओं तथा विशाखा, धम्मदिन्ना आदि भिक्षुणियों के विषय में भी कुछ अधिक सूचना दी गई है ।
धम्मपदट्ठकथा
धम्मपदट्ठकथा या धम्मपद की अट्ठकथा में जातक के ढंग की कहानियों का प्राधान्य है । चार निकायों और जातक आदि से ही ये कहानियाँ संगृहीत की गई हैं । जातक की अनेक गाथाएँ यहाँ उद्धृत की गई हैं और उसकी कहानियों