SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 445
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४२४ ) बौद्ध संघ स्थविरवादी महामांधिक प्रज्ञप्तिवादी लोकोत्तरवादी एकव्यावहारिक गोकुलिक (२) (३) (४) (५) (६) (७) (८) हेमवत वात्मोपुत्रीय धर्मोत्तरीय भद्रयानीय सम्मित्तीय पाण्णागरिक सर्वास्तिवादी (११) काश्यपीय महीगामक सौत्रान्तिक (१०) धर्मगुप्त उपर्युक्त दोनों परम्पराओं की विभिन्नताएं वास्तव में इन सम्प्रदायों के अनिश्चित इतिहास के कारण हैं। यदि कथावत्थु में इन सम्प्रदायों के विषय में भी कुछ कह दिया जाता तो वौद्ध धर्म के इतिहास-जिज्ञासुओं का काम सरल हो जाता। किन्तु धम्मवादी स्थविर मोग्गलिपुन तिस्स ने इसके लिए अवकाश नहीं दिया। गोकुलिक (कुक्कुलिक) शाखा को महासांघिकों से तथा पाण्णागारिक (छन्नागारिक) शाखा को स्थविरवादियों को परम्परा से वियुक्त कर दिया है। देखिये बुद्धिस्टिक स्टडीज, पृष्ठ ८३१-३२; 'महावंस', 'कथावत्थु', वसुमित्र और भव्य इन चारों स्रोतों के आधार पर १८ सम्प्रदायों के शाखा-भेद के तुलनात्मक अध्ययन के लिए देखिये बुद्धिस्टक स्टडीज़, पृष्ठ ८२७ पर दी हुई महत्त्वपूर्ण तालिका।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy