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________________ ( १३२ ) और ऐतिहासिक महत्व का भी अनुमापन करना हमारे अध्ययन का एक अंग होगा। अ-दीघ-निकाय' - दीघ-निकाय दीर्घ आकार के सुत्तों का संग्रह है। आकार की दृष्टि से जो सुत्त या बुद्ध-उपदेश बड़े हैं, वे इस निकाय में संगृहीत है । दीघ-निकाय तीन भागों में विभक्त है (१) सीलक्खन्ध (२) महावग्ग (३) पाथेय या पाटिक-वग्ग। इनमें कुल मिलाकर ३४ सुत्त हैं, जिनमें सीलक्खन्ध में १-१२, महावग्ग में १४२३ और पाथेय या पाटिकवग्ग में २४-३४ सुत्त हैं। जिस क्रम से इन सुत्तों का विन्यास किया गया है, वह काल-क्रम के अनुसार पूर्वापरता का सूचक नहीं है। कुछ घटनाएँ या उपदेश जो कालक्रमानुसार बाद के है पहले रख दिये गये हैं और इसी प्रकार जिन्हें पहले होना चाहिये वे बाद में रक्खे हुए हैं। इसका कारण यही है कि काल-क्रम के अनुसार सत्तों को यहाँ विन्यस्त न कर आकार आदि की दृष्टि से किया गया है। पिटक और अनुपिटक (विशेषतः अट्ठकथा) साहित्य के साक्ष्य से महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने दीघ-निकाय के कुछ सुत्तों के कालानुक्रम का निश्चय कर उन्हें उस ढंग से अपने महत्वपूर्ण ग्रन्थ 'बुद्धचर्या' में अनूदित किया है। यह एक स्तुत्य कार्य है। पनिटमी विद्वान अट्ठकथाओं के साक्ष्य पर इतना अधिक विश्वास न कर केवल शैली और भापा आदि के साक्ष्य से ही दीघ-निकाय या पूरे सत्त-पिटक के विभिन्न अंशों की पूर्वापरता निश्चित करना चाहते हैं, जो अन्त में केवल उनकी कल्पना का विलास मात्र रह जाता है। फ्रैंक नामक विद्वान् ने तो इसी आधार पर अपने विचित्र मत भी पूरे त्रिपिटक और दीघ-निकाय के सम्बन्ध में प्रकाशित कर दिये है । उन्होंने दीघ-निकाय के विषय में कहा है कि यह किसी एक लेखक या साहित्यकार का काम है। चूंकि ओल्डनबर्ग,२ रायस डेविड्स, विटरनित्ज, गायगर५ आदि विद्वानों द्वारा १. महापंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा अनुवादित, महाबोधि सभा, सारनाथ,१९३७ २. ३. ४. ५ देखिये विशेषतः विटरनित्ज : हिस्ट्री ऑव इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ४४-४५; गायगर : पालि लिटरेचर एंड लेंग्वेज, पृष्ठ १७, पद-संकेत ४; रायस डेविड्स और ओल्डनबर्ग के ग्रन्थों के संकेत भी यहीं दोनों जगह दिये हुए है।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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