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( १०१ ) ४. इन्द्रिय-संयुत्त ५. सम्मप्पधान-संयुत्त ६. बल-मंयुत्त ७. इद्धिपाद-मंयुत्त ८. अनुरुद्ध-संयत्त ९. झान-संयुत्त १०. आनापाण-संयुत्त ११. सोतापत्ति-मंयुत्त १२. सच्च-संयुक्त
अंगुत्तर-निकाय का विभाजन बिलकुल संख्याबद्ध है । एक एक, दो-दो, तीनतीन, इस प्रकार क्रमानुसार ग्यारह तक उतनी ही उतनी संख्या से सम्बन्ध रखने वाले बुद्ध-उपदेशों का संग्रह है । इस प्रकार यह महाग्रन्थ ११ निपातों (समूहों) में विभक्त है--
१. एक-निपात २. दुक-निपात ३. तिक-निपात ४. चतुक्क-निपात ५. पंचक-निपात ६. छक्क-निपात ७. सत्तक-निपात ८. अटठक-निपात ९. नवक-निपात १०. दसक-निपात ११. एकादसक-निपात खुद्दक-निकाय में स्वतन्त्र १५ ग्रन्थ है, जो इस प्रकार हैं१. खुद्दक-पाठ २. धम्मपद ३. उदान ४. इतिवृत्तक ५. मुत्तनिपात