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[६७] अगर यह संक्षिप्त निबंध न होकर खास पुस्तक होती तो इसमें विशेष खुलासोंका भी अवकाश रहता। __ इस प्रवृत्तिके लिये मुझको उत्साहित करनेवाले गुजरात पुरातत्व संशोधन मंदिरके मंत्री परीख रसिकलाल छोटालाल हैं जिनके विद्याप्रेमको मैं नहीं भूल सकता।
संवत् १९७८ पौष ।
यदि ५ भावनगर.
लेखकसुखलाल संघवी.