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________________ ... सञ्चालकीय वक्तव्य - प्रस्तुत श्रीभुवनेश्वरी महास्तोत्र सकलागमाचार्यचक्रवर्ती श्रीपृथ्वीधराचार्यकृत मन्त्रगर्भित स्तोत्र है और प्रोजःपूर्ण पदावली एवं स्वयं स्तोत्रकर्ता द्वारा व्याहृत फलश्रुति से इसके महत्त्वशील होने का पर्याप्त परिचय मिलता है । इस स्तोत्र का साङ्गोपाङ्ग प्रकाशन अद्यावधि कहीं नहीं हुआ था इसीलिए जब इस विभाग के उपसञ्चालक श्रीवहुराजी ने प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन-सम्पादन के लिए अपना मनोरथ प्रकट किया तो मैंने उत्साह के साथ इसकी स्वीकृति दे कार्य आरम्भ करने की प्रेरणा की। श्रीवहुराजी ने इस ग्रन्थ का सम्पादन अत्यन्त लगन और परिश्रम के साथ किया है। विषय से सम्बद्ध अध्ययनात्मक विस्तृत भूमिका से पुस्तक और भी उपयोगी वन गई है । आरम्भ में मुझे पुस्तक के इतने बड़े कलेवर की आशा नहीं थी परन्तु जैसे जैसे सम्बद्ध उपादेय सामग्री मिलती गई इसका आकार प्रकार बढ़ता गया और यह उचित ही हुआ कि भगवती भुवनेश्वरीविषयक इस प्रकार की विपुल सामग्री का एकत्र सङ्कलन कर दिया गया । जैसा कि सम्पादकीय से व्यक्त - है इसके पूर्व इस स्तोत्र का सभाष्य अथवा इतना प्रौढ़ संस्करण कहीं नहीं निकला है । इस प्रकार के अप्रकाशित और महत्त्व-शील प्राचीन ग्रन्थरतों को प्रकाश में लाना ही प्रस्तुत ग्रन्थमाला का मुख्य ध्येय है। मैं आशा करता हूं कि ग्रन्थमाला के अनेकानेक पूर्व प्रकाशित ग्रन्थरत्नों की तरह प्रस्तुत रत्न भी विद्वानों को समादरणीय होगा। . निष्ठा एवं विद्वत्तापूर्ण सम्पादन के लिए मैं श्रीबहुराजी का 'अभिनन्दन करता हूं और आशा करता हूं कि इन का परिश्रम पाठकों की रुचि और एतद्विषयक उत्साह को बढ़ाएगा। १४ दिसम्बर, १९६० । जोधपुर। · · मुनि जिनविजय .
SR No.010619
Book TitleBhuvaneshvari Mahastotram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages207
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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