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सुरेंद्रकीर्ति आदिके फोटो भेजने की कृपा की है । पुस्तकके मुद्रण कार्यका निरीक्षण जीवराज ग्रंथमाला सुयोग्य कार्यवाह श्री. अक्कोळेने सुचारुरूपसे किया है । इन सब महानुभावों के प्रति हम कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।
नागपुर
ता. २-४-५८
हमें खेद है कि इस ग्रंथमालाके संस्थापक श्रद्धेय ब्र. जीवराज गौतमचंद दोशी का इस पुस्तक प्रकाशित होनेसे पहले ही देहान्त हो गया । संशोधन के विषय में उन्हें बहुत रुचि थी । हम उन्हें हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हैं । पुस्तकके परिवर्धन तथा सुधारके विषयमें जो भी सुझाव दिए जायेंगे उनका स्वागत किया जायगा ।
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- संपादक