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लेखांक ६४२ - प्रतापकीर्ति
भट्टारक संप्रदाय
लेखांक ६४३ -
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काष्ठासंघ शृंगार लाडवागड गछ सोहे | नरेंद्रकीर्ति गुरुराय वादीपंचानन मोहे ।। कलबर्गा पातस्याह जैननि समस्या पुरावी पीरोजसाहा माण पालखी अंतरिक्ष चलावी ॥ तस पाट सोहे वादी विकट प्रतापकीर्ति सूरिवर जयो केदारभट्ट पाथरी नगर राजसभा मांहि जीतियो ||
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[ ६४२ -
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( म. ४९ )
काष्ठासंघ शृंगार जु सोभत लाडवागड गछ दिवाकर रे । बादि विकट वांकुश हस्त में चामर पीछी छाजतु रे ॥ नरेंद्रकीर्ति वा दिगजकेशरी अंतरीक्ष पालखी चलावतु रे । प्रतापसुकीर्ति वादिगजकेशरी मानत भूप सुपंडित रे ॥
( म. ४९ )
त्रिभुवनकीर्ति
लेखांक ६४४ - बिरुदावली
श्रीमलय कीर्तिपट्टधराणां ।। श्रीलादवर्गट गच्छविपुलगगनमार्तंडमंडलानां भट्टारक श्री मनरेंद्रकीर्ति सद्गुरुचरणकमलाराधनकुशलानाम् ॥ सकलविबुधमुनिमंडली मंडितचरणारविंदानां समुन्मूलित मिध्यात्वतरुकंदानां श्रीमत्प्रतापकीर्तियतिचक्रवर्तिनाम् ।। तेषां पट्टे भट्टारक श्रीत्रिभुवनकीर्तिदेवगुण रत्नभूषणयतीनाम् ॥ तेषां सद्गुरूणामुपदेशेन अद्येह देवगिरिमहास्थानवास्तव्येन श्रीमद्वयाघ्रवालज्ञातीयमुखमंडनेन
॥
( म.. ११७ )