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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ~ २८५] ७. बलात्कार गण-नागौर शाखा लेखांक २८१ - चंद्रप्रभ मूर्ति सं. १६०१ फाल्गुन सुदि ९ मूलसंघे धर्मकीर्ति आचार्य सा. महन भार्या भानुमती पुत्र सर्वन ॥ ( भा. प्र. पृ. ६) लेखांक २८२ - पट्टावली विशालकीर्ति संवत् १६०१ वैशाख सुदि १ विशालकीर्तिजी गृहस्थ वर्ष ९ दिक्षा वर्ष ५८ पट्ट वर्ष ९ मास १० दिवस २० अंतर मास १ दिवस १० सर्व वर्ष ७७ दिवस २३ जाति पाटोधी पट्ट जोवनेर ॥ [व, १०] लेखांक २८३ - पट्टावली लक्ष्मीचंद्र संवत् १६११ असौज वदि ४ लक्ष्मीचंद्रजी गृहस्थ वर्ष ७ दिक्षा वर्ष ३७ पट्ट वर्ष १९ मास ११ दिवस २० अंतर दिवस १० सर्व वर्ष ६४ मास २ दिवस १ जाति छावडा पट्ट जोवनेर ।। (ब. १०) लेखांक २८४ - पट्टावली सहस्रकीर्ति संवत् १६३१ जेष्ट सुदि ५ सहस्रकीर्तिजी गृहस्थ वर्ष ७ दिक्षा वर्ष २५ पट्ट वर्ष १८ मास २ दिवस ८ अंतर मास ९ दिवस २२ सर्व वर्ष ५१ मास ११ दिवस ७ जाति पाटणी पट्ट जोवनेर । (च. १०) लेखांक २८५ - पट्टावली नेमिचंद्र संवत् १६५० श्रावण सुदि १३ नेमिचंद्रजी गृहस्थ वर्ष ११ दिक्षा वर्ष ५२ पट्ट वर्ष ११ मास ६ दिवस २२ अंतर मास ५ दिवस ८ सर्व वर्ष ९५ मास १ दिवस २५ जाति ठोल्या पट्ट जोबनेर ।। (व. १०) For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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