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- १५९] ३. बलात्कार गण-कारंजा शाखा लेखांक १५६ -
गुजर देश सुतारंग पर्वत कोडिशिलोपरि कोडि मुनीसा । कोडि अउद्र वली वरदत्त पुरःसर भेदि जवंजव खासा ।। चंद्र शराधिक षोडश उज्ज्वल पंचमि भार्गव मार्गक वासा । देवेंद्रकीर्ति भट्टारक संग समेत नमे करि भूतल सीसा ।।
(उपर्युक्त ) लेखांक १५७ -
सोरट देश सुरेवतकाचल नेमि मुनीश बहत्तर कोडी। काम पुरोग ऋषीशत योगी शिवंगय संसृति वल्लरि तोडी ।। पुष्प रवी व बारसि इंदुशरतुकलेश समा अतिरूडी । देवेंद्रकीर्ति भट्टारक संग समेत नमे करपंकज जोडी ॥
( उपर्युक्त ) लेखांक १५८ -
सोरट देश अरिंजय भूधर भूरिजिनेश्वर बिंब अनूपा । पांडु सुत त्रय मोक्ष गया वसु कोडि तथा वर लाड सुभूपा ॥ एकशरान्वित षोडश वत्सर कालिम माघ चतुर्थि उडूपा । देवेंद्रकीर्ति भट्टारक भाव समेत नमे शांतिसागररूपा ॥
[ उपर्युक्त ] लेखांक १५९ - कथाकोष
श्रीचंद्र संवत १७८७ वर्षे भादवा शुदि ५ शुक्रे ।। श्रीरस्तु । श्रीसुरति बंदरे वासुपूज्यचैत्यालये लिखापितमिदं पुस्तकं श्रीमूलसंघे मलयखेडसिंहासनाधीश्वर-कार्यरंजक-पुरवासि भ. श्रीधर्मचंद्रदेवास्तत्पट्टे भ. देवेंद्रकीर्तयस्तैर्लिखापितं आर्यिका श्रीपासमतिपरोक्षदत्तवित्तेन ।
[म. प्रा. पृ. ७२७]
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