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________________ अडमठ मूक्ति त्रिवेणी १७ ग्रहासुत्त रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जड । उस्सुत्त रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ। ---७१ १८ जीवा सिय सासया, सिय असासया । दबट्ट्याए सासया, भावट्ठयाए असासया । ~~७२ १९ भोगी भोगे परिच्चयमारणे महाणिज्जरे महापज्जवसागो भव। -७१७ २० हत्यिस्स य कुथस्स य समे चेव जीवे । -७८ २१. जीवियास-मरण-भयविप्पमुक्का। -८७ २२ एग अन्नयरं तस पाणं हणमारणे अणेगे जीवे हाइ। -६/३४ २३ एग इसि हणमाणे अणते जीवे हणइ । --|३४ २४. प्रत्येगइयाण जीवाणं सुत्तात्तं साहू, अत्थेगइयाण जीवाण जागरियत्त साहू। ---१२।२ २५. अत्यंगइयाणं जीवाण बलियत्त साहू, अत्थेगइयाण जीवाण दुबलियत्त साहू । ---१२।२ २६ नन्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जत्थ ण अय जीवे न जाए वा, न मए वा वि । -१२७
SR No.010614
Book TitleSukti Triveni Part 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1968
Total Pages813
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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