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स्थानाग को सूक्तिया
तिरेसठ ५३. रोग होने के नौ कारण है
अति भोजन, अहित भोजन, अतिनिद्रा, अति जागरण, मल के वेग को रोकना, मूत्र के वेग को रोकना, अधिक भ्रमण करना, प्रकृति के विरुद्ध भोजन करना, अति विपय सेवन करना, न ऐसा कभी हुआ है, न होता है और न कभी होगा ही कि जो चेतन हैं, वे कभी अचेतन-जड हो जाए, और जो जड-अचेतन हैं, वे चेतन हो जाए।