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वीस
मूक्ति त्रिवेणी
८४ एगमप्पारण सपेहाए धुणे सरीरग।
-११४३
८५ कसेहि अप्पारण, जरेहि अप्पाण।
~११४।३
८६. जहा जून्नाइ कट्ठाइ हव्ववाहो पमत्थइ,
एव अत्तसमाहिए अरिगहे ।
-~-~१।४३
८७ जस्स नत्थि पुरा पच्छा,
मज्झे तस्स यो सिया ?
--१४४
८८ से हु पन्नागमते बुद्ध पारभोवरए ।
-~-११४४
८६ जे छेए से सागारिया न सेवेइ ।
-११५१
६० गुरू से कामा, तयो से मारस्स अतो,
जयो से मारस्स अतो, तयो से दूरे। नेव से अतो नेव दूरे।
-~~~११५११
९१ उठ्ठिए नो पमायए।
-~-११५२
३२ पुढो छंदा इह माणवा।
-~-१५२
६३ वन्धप्पमोक्खो अज्झत्येव ।
-११५२
१४ नो निन्हवेज्ज वीरिय।
--११५।३