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सोलह
सूक्ति त्रिवेणी
७० सच्चस्स प्राणाए उवट्ठिए मेहावी मार तरइ।
-~११३३
७१ सहिरो दुक्खमत्ताए पुट्ठो नो झझाए ।
~११३१३
७२ जे एग जागइ, से सव्व जागइ ।
जे सव्व जागइ, से एग जागइ ।।
-१३१४
७३ सव्वो पमत्तस्स भय,
सव्वो अपमत्तस्स नत्थि भय ।
-११३१४
७४
जे एग नामे, से बहु नामे ।
-२३४
७५ एग विगिचमाणे पुढो विगिचइ।
-~~११३१४
७६ अत्थि सत्य परेण पर,
नत्यि असत्य परेण पर।
-१३१४
७७. किमत्थि उवाही पासगस्स न विज्जइ ?
नत्यि ।
~~११३४
७८ न लोगस्सेसणं चरे।
जस्स नत्यि इमा जाई, अण्णा तम्म कयो सिया?
~११४०१