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सूक्ति त्रिवेणी
एक सौ तीस १६९. सद्द अतित्त' य परिग्गहम्मि,
सत्तोवसत्तो न उवेइ तुट्ठि।
-~३२६४२
१७०. पदुचित्तो य चिणाइ कम्म,
जं से पुणो होइ दुहं विवागे।
-३२१४६
१७१. न लिप्पई भवमझे वि सतो,
जलेण वा पोक्खरिणीपलास ।
-३२१४७
१७२. समो य जो तेसु स वीयरागो।
-३२१६१
१७३. एविदियत्था य मणस्स अत्था,
दुक्खस्स हेउमणुयस्स रागिणो। ते चेव थोवं पि कयाइ दुक्ख,
न वीयरागस्त करेति किंचि ।।
--~३२११००
१७४. न कामभोगा समयं उवेति,
न यावि भोगा विगड उवेंति । जे तप्पनोसी य परिग्गही य,
सो तेस मोहा विगई उवेइ ॥
--३२११०१
१७५. न रसाए भुजिज्जा, जवणट्ठाए महामुणी।
-३५।१७
१७६ अउलं सुहसपत्ता उवमा जस्स नत्थि उ ।
-३६.६६