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सूक्ति त्रिवेणी
एक सौ दस ६६. कुसग्गे जह अोसविन्दुए,
थोवं चिट्ठइ लम्बमाणए । एव मणुयाण जीविय,
समयं गोयम | मा पमायए ।
-१०२
६७. विहुणाहि रयं पुरे कड।
-१०१३
६८. दुल्लहे खलु माणुसे भवे ।
-१०१४
६६. परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवन्ति ते ।
से सव्ववले य हायई, समय गोयम । मा पमायए ।।
-१०॥२६
७०. तिण्णोहु सि अण्णव मह, किं पुण चिट्ठसि तीरमागमो? __ अभितुर पार गमित्तए, समय गोयम ! मा पमायए ।।
-१०॥३४ ७१. अह पंचहि ठाणेहि, जेहि सिक्खा न लभई ।
थंभा कोहा पमाएण, रोगेगालस्सएग वा ॥
७२. न य पावपरिक्खेवी, न य मित्त मु कुप्पई ।
अप्पियस्सावि मित्तस्स, रहे कल्लारण भासई।
-११११२
७३. पियकरे पियंवाई, से सिक्ख लधु मरिहई। "
-११।१४
७४. महप्पसाया इमिणो हवति ,
न हु मुणी कोवपरा हवति ।
-१२।३१