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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र
आपकी राय लिखने की कृपा करें आपके पत्र का बाकी का जवाब पोचे भेजूगा।
आपका नम्र
केशरी चन्द भंडारी (३)
इन्दौर राजवाडे के सामने
५-१२-१९१६ श्रीमान मुनि श्री जिनविजयजी महाराज, पूना
केशरी चन्द भंडारी की वंदना प्रविष्ट होवे। आपका कृपा पत्र ता० १०-११-१६ का पहुंचा । पढ़ कर बहुत आनन्द हुआ। मैं यहाँ पर बहुत रोज नही था । सबब आपके पत्र का उत्तर अब तक नहीं दे सका सो माफ फर्मावें।
आपने जैन साहित्य संशोधक समाज नामक संस्था की स्थापना की, यह पढ़कर बहुत हर्ष हुआ।
स्थानक वासियो की तरफ से मुझे इस संस्था का आप सेक्रेटी बनाना चाहते है । इसके बदले मे आपका बहुत ही उपकार मानता हूँ परन्तु साय मे यह भी विनती आपसे करना चाहता हूँ कि मेरे में इस पद के लायक कोई भी गुण नहीं । मुझे यह अन्देशा है कि आपको मेरे लायकत पर बहुत निराशा न होवे । फिर आपकी जैसी इच्छा हो वैसा करें।
पत्र के खर्च के वास्ते श्री मनसुख भाई ने व कुमार देवेन्द्र प्रसाद जी ने एक एक हजार रूपये देने का इकरार किया है। ऐसा इकरार में मापसे नही कर सकता इसका मुझे अफसोस होता है-कारण हमारे सम्प्रदाय की उदासीन वृत्ति आपको अच्छी तरह ज्ञात ही है, परन्तु मैं इस बारे में अवश्य प्रयत्न करूंगा और मुझे शायद यश भी मिल जावे